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Mangala Gauri Vrat katha: आज सुनें मंगला गौरी व्रत कथा, मिलेगा संतान सुख तथा दीर्घायु का आशीष

Mangala Gauri Vrat katha मंगलवार के दिन माता मंगला गौरी की पूजा से महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का फल मिलता है। सुहागन महिलाएं मां गौरी को प्रसन्न करने के लिए इस व्रत का विधि विधान से पालन करती हैं।

By Ritesh SirajEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 07:40 AM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 07:40 AM (IST)
Mangala Gauri Vrat katha: आज सुनें मंगला गौरी व्रत कथा, मिलेगा संतान सुख तथा दीर्घायु का आशीष
Mangala Gauri Vrat katha: आज सुनें मंगला गौरी व्रत कथा, मिलेगा संतान सुख तथा दीर्घायु का आशीष

Mangala Gauri Vrat katha : हिंदी पंचांग के अनुसार सावन माह का आरंभ हो चुका है। यह मास हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस माह में भगवान शंकर और माता पार्वती धरती पर भ्रमण करने आते हैं। इसीलिए सावन में सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा और मंगलवार माता पार्वती के मंगला स्वरूप की पूजा की जाती है। मंगलवार के दिन माता मंगला गौरी की पूजा से महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का फल मिलता है। सुहागन महिलाएं मां गौरी को प्रसन्न करने के लिए इस व्रत का विधि विधान से पालन करती हैं। आइये विस्तार से जानते हैं इस व्रत से जुड़ी कथा के विषय में। 

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मंगला गौरी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक सेठ धर्मपाल रहता था। सेठ और उसकी पत्नी एक सुखी जीवन बीता रहे थे। उनके घर में धन, धान्य की कोई कमी नहीं थी। सेठ को सभी सुख की प्राप्ति थी परंतु उसके जीवन में एक संतान की कमी थी। संतान न होने का दुख उसके सभी सुख पर भारी था। क्योंकि उनके वंश को आगे बढ़ाने वाला कोई नहीं था। जिसकी वजह से दोनों दंपत्ति उदास रहने लगे थे।

बहुत तप-जप करने के बाद उन्हें एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। परंतु ज्योतिषियों ने सेठ को सावधान करते हुए पहले ही बता दिया था कि वह अल्पायु है। जिसकी बहुत कम थी क्योंकि जैसे वह 17 का होता उसकी मृत्यु हो जाएगी। इस बात को जानने के बाद पति पत्नी और भी दुखी हो गए थे। हालांकि दोनों दंपत्ति ने इसे ही अपना और पुत्र का भाग्य मान लिया था। 

संयोगवश सेठ के लड़के की शादी एक सुंदर और संस्करी कन्या से हो गई। कन्या की मां और कन्या दोनों ही मंगला गौरी का व्रत करती और मां पार्वती की विधिवत पूजन करती थी। इसी वजह उत्पन्न कन्या को अखंड सौभाग्यवती होने का आशिर्वाद प्राप्त था। जिसकी वजह से सेठ के पुत्र की मृत्‍यु टल गई। लड़के की सास के अर्जित फल से यह संभव हो सका। मां मंगला गौरा की कृपा से यह चमत्कार हो सका।  

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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