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Mangala Gauri Vrat 2020: सावन के हर मंगलवार करें मंगला गौरी व्रत, मिलेगा अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद

Mangala Gauri Vrat 2020सावन मास में जिस प्रकार प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव की विशेष पूजा होती है ठीक वैसे ही प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत होता है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 09:29 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 06:32 AM (IST)
Mangala Gauri Vrat 2020: सावन के हर मंगलवार करें मंगला गौरी व्रत, मिलेगा अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद
Mangala Gauri Vrat 2020: सावन के हर मंगलवार करें मंगला गौरी व्रत, मिलेगा अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद

Mangala Gauri Vrat 2020: सावन मास का प्रारंभ आज से हो गया है। आज भगवान शिव की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाएगी और सावन के पहले सोमवार का व्रत रखा जाएगा। सावन में शिव परिवार की पूजा का विशेष महत्व है। सावन मास में जिस प्रकार प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव की विशेष पूजा होती है, ठीक वैसे ही प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत होता है और मां गौरी की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के आशीर्वाद के लिए मां गौरी की पूजा करती हैं। आइए जानते हैं कि इस वर्ष सावन मास में कितने मंगला गौरी व्रत किस तारीख को पड़ रहे हैं।

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मंगला गौरी व्रत की तिथियां

पहला मंगला गौरी व्रत: 07 जुलाई 2020

दूसरा मंगला गौरी व्रत: 14 जुलाई 2020

तीसरा मंगला गौरी व्रत: 21 जुलाई 2020

चौथा मंगला गौरी व्रत: 28 जुलाई 2020

मंगला गौरी व्रत, पूजा एवं महत्व

जैसा कि आपको पता है यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। ऐसे में मां गौरी की पूजा करते समय सुहाग की सामग्री अर्पित करना शुभ माना जाता है। संतान के कल्याण के लिए भी यह व्रत किया जाता है। वैवाहिक जीवन की समस्याओं से बचने के लिए सोमवार के साथ मंगला गौरी व्रत करने का भी विधान है। मंगला गौरी की पूजा में मां गौरी को साड़ी, 16 श्रृंगार की वस्तुएं, 16 चूडियां और सूखे मेवे 16 जगह बनाकर अर्पित करना चाहिए।

व्रत वाले दिन व्रती को नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनना चाहिए। फिर मंगला गौरी व्रत एवं पूजा का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद पूजा स्थान पर मां गौरी की तस्वीर एक चौकी पर स्थापित कर दें। दीप जलाकर मां गौरी का षोडशोपचार पूजन करें। फिर उनको 16 श्रृंगार के सा​मान और साड़ी चढ़ाएं। पूजा के बाद माता रानी की आरती करें। इसके बाद दिनभर फलाहार करते हुए संध्या पूजा के बाद अन्न पारण कर व्रत पूर्ण करें।


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