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साल के अंत में पड़ रहा है शनि प्रदोष विभिन्‍न अभिषेकों से प्राप्‍त करें शिव का आर्शिवाद

इस बार साल के अंत में शनि प्रदोष पड़ रहा है इस दिन विभिन्‍न अभिषेकों से शिव जी को प्रसन्‍न कर पायें सारे कष्‍टों से मुक्‍ति और नववर्ष का आशीष।

By Molly SethEdited By: Published: Fri, 29 Dec 2017 03:16 PM (IST)Updated: Sat, 30 Dec 2017 08:00 AM (IST)
साल के अंत में पड़ रहा है शनि प्रदोष विभिन्‍न अभिषेकों से प्राप्‍त करें शिव का आर्शिवाद
साल के अंत में पड़ रहा है शनि प्रदोष विभिन्‍न अभिषेकों से प्राप्‍त करें शिव का आर्शिवाद

खास होता है शनि प्रदोष

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पंडित दीपक त्रिपाठी के अनुसार शनिदेव को मनाने के ऐसे कई उपाय हैं जिनके द्वारा शनि की शांति होती है। इन्‍हीं में से एक उपाय है शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को श्रद्धा के साथ करना। इस बार शनिवार, 30 दिसंबर 2017 को शनि प्रदोष व्रत है। शनि को मनाने के लिए शनि प्रदोष व्रत बहुत फलदायी है। यह व्रत करने वाले पर शनिदेव की असीम कृपा होती है। शनि प्रदोष व्रत शनि के अशुभ प्रभाव से बचाव के लिए उत्तम होता है। 

विशेष संयोग 

इस शनि प्रदोष को एक विशेष संयोग बन रहा है। इस दिन शिव की तिथि प्रदोष, सूर्य का नक्षत्र और शनिवार एक साथ हैं। ये संयोग अत्‍यंत कल्‍याणकारी होता है। इस दिन शनि के दोष से पीड़ित व्‍यक्‍ति अपने कष्‍टों का निवारण प्रदोष्‍ा व्रत के साथ कर सकते हैं। अत आज के दिन प्रात और सायंकाल दोनों समय पर शुद्ध तन और मन से शिवजी की पूजा करें। इस दिन कुछ खास अभिषेक करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्‍त होती है। 

हर अभिषेक का अलग है लाभ 

पंडित जी बताते हैं कि विभिन्‍न चीजों से शिव जी का अभिषेक किया जाता है, और प्रत्‍येक से अलग लाभ होता है। जैसे शिव परिवार और उनके सर्प को लगातार जल की धारा से अभिषेक करने पर व्‍यक्‍ति की बुद्धि का विकास होता है। घी से भगवान का अभिषेक करने पर व्‍यक्‍ति को लक्ष्‍मी की कृपा प्राप्‍त होती है और लक्ष्‍मी जी स्‍थायी रूप से साथ रहने का आर्शिवाद देती हैं। यदि शुगर की बीमारी से पीड़ित व्‍यक्‍ति उनका गन्‍ने के रस से अभिषेक करें तो उन्‍हें लाभ होता है। इसी तरह दूध से वंश वृद्धि और दही से योग्‍य संतान आशीष प्राप्‍त होता है। छाछ से शिव जी का अभिषेक करने पर तपेदिक रोग से मुक्‍ति मिलती है। जबकि विभिन्‍न नदियों के जल का भी अपना महत्‍व है जैसे गंगा जल से अर्थ व्‍यवस्‍था मजबूत होती है, जबकि नर्मदा के जल से अविचार दूर होता है, वहीं सात नदियों के मिश्रित जल से अभिषेक करने पर भगवान भक्‍तों को यश और कीर्ति के विस्‍तार का आर्शिवाद देते हैं।    


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