Mahashivratri 2020: इस शिवरात्रि भगवान शिव को जरूर चढ़ाएं बेल पत्र, होंगे ये 5 लाभ
ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र चढ़ाने से शिव जी का मस्तक शीतल रहता है। बिल्व वृक्ष के जड़ में महादेव का वास रहता है इसलिए इस पेड़ की जड़ से महादेव की पूजा की जाती है।
शिव ही ब्रह्म हैं, शिव ही जीव हैं और शिव ही वह ऊर्जा हैं, जो मनुष्य को अपने जैसा बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसलिए शिव का पूजन, शिवोपासना लिंग रूप में की जाती है, क्योंकि लिंग आकार में मूलाधार से सहस्त्रार तक जा रही ऊर्जा प्रतीक है।
शिवरात्रि में क्यों चढ़ाया जाता है बेलपत्र
ऐसी मान्यता है कि, बेलपत्र चढ़ाने से शिव जी का मस्तक शीतल रहता है। बिल्व वृक्ष के जड़ में महादेव का वास रहता है इसलिए इस पेड़ की जड़ से महादेव की पूजा की जाती है। इतना ही नहीं, कहते हैं बिल्व वृक्ष को सींचने से सभी तीर्थों का फल मिल जाता है। बिल्व पत्र का पूजन पाप व दरिद्रता का अंत कर वैभवशाली बनाने वाला माना गया है। इससे हनुमान जी भी प्रसन्न होते हैं क्योंकि वे शिव के ही अवतार हैं।
बेल पत्र का महत्व
1. तीनों लोकों में जितने पुण्य-तीर्थ स्थल प्रसिद्ध हैं, वे सभी तीर्थ स्थल बेल पत्र के मूलभाग में स्थित माने जाते हैं।
2. घर के उत्तर-दक्षिण दिशा में बेल का वृक्ष लगाने से घर में सुख-शांति रहती है।
3. जो लोग अपने घरों में बेल का वृक्ष लगाते हैं, उन पर शिव की कृपा बरसती है। घर के उत्तर-पश्चिम दिशा में उसे लगाने से यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है।
4. यदि बेल का वृक्ष घर के बीच में लगा हो तो घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है और परिजन खुशहाल रहते हैं।
5. जो व्यक्ति बेल के वृक्ष के मूल भाग की गन्ध, पुष्प आदि से पूजा अर्चना करता है, उसे मृत्यु के पश्चात शिव लोक की प्राप्ति होती है।
शिवरात्रि का महत्व
लौकिक तौर पर शिवरात्रि शिव के विवाह की रात है। इस दिन ही योगी शिव ने गृहस्थ धर्म को अपनाया, लेकिन यह तो सिर्फ प्रतीक है। वास्तविक अर्थ कहीं अधिक गूढ़ और गंभीर है। शिव और पार्वती का विवाह कोई सामान्य घटना नहीं है। श्रीराम की तरह शिव ने शक्ति को प्राप्त करने के लिए अपने बल का परीक्षण नहीं दिया, कोई धनुष नहीं टूटा या फिर श्रीकृष्ण की तरह रुक्मिणी का अपहरण नहीं किया। जहां अमृत मंथन से उत्पन्न लक्ष्मी श्रीहरि को चुनती हैं, वहीं पार्वती ने बरसों तप किया है तब जाकर उन्हें शिव मिले हैं एवं शिवा का स्थान मिला है। यहां उल्टी गंगा बह रही है, पार्वती शिव को प्राप्त करना चाहती हैं। करुणावतार शिव उनके प्रति इतने निष्ठुर हैं, कि उनके लिए तप किया जा रहा है। कारण, शक्ति कामनापूर्ति की ऊर्जा हैं, और शिव निष्काम योगी। मानव शरीर में शक्ति की निवास स्थली मूलाधार चक्र है और शिव सहस्त्रार में स्थापित हैं। मूलाधार में जो कुंडली सुप्त है, उसे ही जगाना पड़ता है और तप करके चक्रों का भेदन करते हुए ऊपर की ओर उठना पड़ता है, सहस्त्रार में बसे शिव से संयोग करने के लिए।