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Maha Shivaratri 2019: 10 साल में तीसरी बार सोमवार को पड़ रहा है ये पर्व अनोखी विधियों से होती है पूजा

साल 2012 आैर 2016 के बाद एक बार फिर सोमवार के दिन Maha Shivratri 2019 पड़ रही है। इस पर्व पर आैघड़ दानी शिव शंकर की अनोखे तरीकों से पूजा की जाती है।

By Molly SethEdited By: Published: Sat, 02 Mar 2019 05:09 PM (IST)Updated: Sat, 02 Mar 2019 05:09 PM (IST)
Maha Shivaratri 2019: 10 साल में तीसरी बार सोमवार को पड़ रहा है ये पर्व अनोखी विधियों से होती है पूजा
Maha Shivaratri 2019: 10 साल में तीसरी बार सोमवार को पड़ रहा है ये पर्व अनोखी विधियों से होती है पूजा

रात्रि पूजा का महातम्य

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महा शिवरात्रि पर वैसे तो भक्त प्रात काल से ही भोले बाबा का पूजा पाठ शुरू कर देते हैं, लेकिन इस पर्व पर रात्रि की पूजा का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार यदि रात्र के चारों पहर में शिव जी की विधि विधान से पूजा की जाए तो मन वांछित फल प्राप्त किया जा सकता है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि मनार्इ जाती है इसे भगवान शिव और सती की मिलन की रात्रि भी कहा गया है। महाशिवरात्रि की पूजा के दौरान जागरण करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं। रामायण के अनुसार इस दिन शिव पार्वती की विवाह की कथा जरूर सुने और रामायण की चौपाइयों का पाठ करें या सुनें। इस बार ये पर्व सोमवार 4 मार्च को पड़ रहा है। इससे पूर्व 2012 आैर 2016 में महा शिवरात्रि सोमवार के दिन मनार्इ गर्इ थी। सोमवार को शिव जी का दिन माना जाता है इसलिए शिवरात्रि के साथ इस दिन का संयोग अत्यंत शुभ कहा जा रहा है।

क्या करें अर्पित

इस शिव जी को प्रिय मानी जानें वाली अनेक चीजें उन्हें अर्पित की जाती हैं। इस सामग्री में कुछ बेहद विचित्र भी हैं। जैसे शिव जी को भांग और इत्र बेहद पसंद है इसलिए उन्हें भांग और इत्र चढ़ाना चाहिए। वहीं नागों के लिए शिव आराध्य होते हैं एेसा माना जाता है इसलिए कालसर्प योग से मुक्ति पाने के लिए शिवलिंग पर किसी पवित्र धातु के बने नाग-नागिन अर्पित करें। शिवजी का जल, दूध, दही, आदि से  पंचामृत अभिषेक करें। साथ ही उन पर चंदन आैर रुद्राक्ष भी चढ़ाने चाहिए। पंडित दीपक पांडे बताते हैं कि ग्रह नक्षत्र ठीक करने के लिए इस दिन शिव जी पर बिच्छू, छिपकली जैसे विषैले कीड़ों को अर्पित करने से लाभ होता है। इस दिन कुछ गुप्त दान भी करना चाहिए।

शिवरात्रि कहलाती है काल रात्रि भी

एक प्राचीन कथा के अनुसार इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शंकर का श्री रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। शिवरात्रि को ही प्रलय की बेला में प्रदोष काल के समय भगवान शिव ने सती के वियोग में तांडव करते हुए तीसरे नेत्र की ज्वाला से ब्रह्मांड को समाप्त करने का प्रयास किया था, इसलिए महा शिवरात्रि कालरात्रि भी कहा जाता है। पुराणों में उल्लेख है कि कालों के काल और देवों के देव कहे जाने वाले महादेव को काले तिल से स्नान करने के बाद रात्रि पूजन करना चाहिए। यहां काले तिल से स्नान का अर्थ है स्नान करने वाले जल में कुछ काले तिल मिला लेने चाहिए।


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