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Magh Gupt Navratri 2023: दुर्गा चालीसा पाठ से करें माघ गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ

Magh Gupt Navratri 2023 कल से माघ माघ गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ हो जाएगा। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के उपासक गुप्त रूप से माता की पूजा करते हैं। गुप्त नवरात्रि की पूजा प्रारंभ करने से पहले दुर्गा चालीसा का पाठ अवश्य करें।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraPublished: Sat, 21 Jan 2023 01:01 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jan 2023 10:02 AM (IST)
Magh Gupt Navratri 2023: दुर्गा चालीसा पाठ से करें माघ गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ
Magh Gupt Navratri 2023: गुप्त नवरात्रि पूजा का शुभारंभ दुर्गा चालीसा से अवश्य करें।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Magh Gupt Navratri 2023, Shri Durga Chalisa: हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रि पूजा का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार कल यानी 22 जनवरी 2023 से माघ गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ हो जाएगा। इन नौ दिनों की अवधि में मां भगवती के 9 महाविद्याओं की साधना की जाएगी। साथ मां भगवती की उपासना गुप्त रूप से की जाएगी। माघ गुप्त नवरात्रि में साधकों को नियमों के साथ कुछ विशेष मंत्रों का भी ध्यान रखना चाहिए, जिनका उच्चारण करने से मां भगवती प्रसन्न हो जाती है और भक्तों को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। ऐसे में साधकों को माघ नवरात्रि का शुभारंभ दुर्गा चालीसा के पाठ से अवश्य करना चाहिए। मान्यता है कि श्री दुर्गा चालीसा के पाठ से व्यक्ति को भय, रोग, दोष एवं सभी कष्टों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। आइए पढ़ते हैं दुर्गा चालीसा पाठ-

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मां भगवती मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।

श्री दुर्गा चालीसा पाठ (Shri Durga Chalisa Lyrics in Hindi)

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी।।

निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी।।

शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला।।

रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे।।

तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना।।

अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला।।

प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी।।

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें।।

रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा।।

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा।।

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो।।

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं।।

क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा।।

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी।।

मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता।।

श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी।।

केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी।।

कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै।।

सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला।।

नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुंलोक में डंका बाजत।।

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे।।

महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी।।

रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा।।

परी गाढ़ संतन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब।।

अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका।।

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी।।

प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें।।

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई।।

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी।।

शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो।।

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको।।

शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो।।

शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी।।

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा।।

मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो।।

आशा तृष्णा निपट सतावें। रिपू मुरख मौही डरपावे।।

शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी।।

करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।

जब लगि जिऊं दया फल पाऊं । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ।।

दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै।।

देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी।।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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