Shardiya Navratri 2024: इस आरती के बिना अधूरी है मां शैलपुत्री की पूजा, संवर जाती है बिगड़ी किस्मत
धार्मिक मत है कि शारदीय नवरात्र के दौरान मां दुर्गा (Shardiya Navratri Puja Vidhi) की उपासना करने वाले साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। जगत की देवी मां दुर्गा अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं और उनके सभी दुख हर लेती हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में आश्विन माह का विशेष महत्व है। इस माह के कृष्ण पक्ष में पितरों की पूजा की जाती है। वहीं, शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2024) मनाया जाता है। यह पर्व हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा और उनके विभिन्न रूपों की श्रद्धा एवं भक्ति भाव से पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री की पूजा करने से सुख, सौभाग्य और आय में वृद्धि होती है। इसके साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। अगर आप भी मां की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो शारदीय नवरात्र के पहले दिन पूजा के समय मां शैलपुत्री की आरती जरूर करें।
शारदीय नवरात्रि 2024 घटस्थापना समय (Shardiya Navratri 2024 Ghatasthapana Muhurat)
ज्योतिषियों की मानें तो शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन घटस्थापना हेतु शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 22 मिनट तक है। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक है। इन दोनों योग में मां शैलपुत्री की पूजा कर सकते हैं।
शारदीय नवरात्रि 2024 कैलेंडर (Shardiya Navratri 2024 Calendar)
03 अक्टूबर 2024- मां शैलपुत्री की पूजा
04 अक्टूबर 2024- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
05 अक्टूबर 2024- मां चंद्रघंटा की पूजा
06 अक्टूबर 2024- मां कूष्मांडा की पूजा
07 अक्टूबर 2024- मां स्कंदमाता की पूजा
08 अक्टूबर 2024- मां कात्यायनी की पूजा
09 अक्टूबर 2024- मां कालरात्रि की पूजा
10 अक्टूबर 2024- मां महागौरी की पूजा
11 अक्टूबर 2024- मां सिद्धिदात्री की पूजा
12 अक्टूबर 2024- विजयदशमी (दशहरा)
मां शैलपुत्री आरती
शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
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