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Janki ashtami 2019: माता सीता हुआ था जन्म ऐसे करें पूजा

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को सीता जी की जयंती के रूप मनाया जाता है। इस दिन को जानकी जयंती और सीता अष्टमी नाम से संबोधित किया जाता है।

By Molly SethEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 09:25 AM (IST)Updated: Tue, 26 Feb 2019 09:26 AM (IST)
Janki ashtami 2019: माता सीता हुआ था जन्म ऐसे करें पूजा
Janki ashtami 2019: माता सीता हुआ था जन्म ऐसे करें पूजा

जानकी जयंती यानि मां सीता का जन्मदिवस

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फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता सीता का जन्मदिन मनाया जाता । ये तिथि इस वर्ष 26 फरवरी मंगलवार को पड़ रही है। एेसी मान्यता है कि इसी दिन मिथिला नरेश राजा जनक और रानी सुनयना को सीता नाम की कन्या प्राप्त हुर्इ थी। इस तिथि को जानकी जयंती या सीता अष्टमी के नाम से बुलाते हैं। बाद में यही देवी सीता अयोध्या के राजा दशरथ के बड़े पुत्र आैर विष्णु जी के अवतार श्री राम की पत्नी बनीं। राम से विवाह के बाद सीता जी ने उनके आैर देवर लक्ष्मण के साथ 14 साल का वनवास भी भोगा था। इसी अवधि में लंका के राजा रावण ने उनका अपहरण भी कर लिया था। वनवास से वापसी के बाद भी वह हमेशा अयोध्या में नहीं रह पार्इ थीं। उनको पति राम ने त्याग दिया आैर अपने पुत्रों के साथ उन्हें वाल्मीकि आश्रम में ही अपना जीवन व्यतीत करना पड़ा और अंत में धरती में समा गर्इं।

सीता जी के जन्म की कथा

पौराणिक कथाआें आैर रामायण के अनुसार सीता जी का जन्म मिथिला के एक खेत में हुआ था। कहते हैं एक बार भयानक आकाल को दूर करने के लिए किए गए एक यज्ञ के अनुष्ठान के लिए राजा जनक को खेत जोतने के लिए कहा गया। उसी खेत में हल चलाते हुए एक क्यारी बनाते समय बने स्थान में एक कन्या उत्पन्न हुई। उस समय राजा जनक की कोई संतान नहीं थी, इसीलिए इस कन्या को पा कर वे अत्यंत प्रसन्न हो गए आैर उसे गोद ले लिया। मैथिली भाषा में हल को सीता कहा जाता है यही कारण है कि हल चलाते हुए मिली इस कन्या का नाम उन्होंने सीता रख दिया। इसी कन्या को भूमि में पाए जाने की वजह से भूमिपुत्री या भूसुता, राजा जनक की पुत्री होने की वजह से जानकी, जनकात्मजा और जनकसुता, आैर मिथिला की राजकुमारी होने के कारण मैथिली नाम से भी बुलाया जाता है। 

जानकी जयंती की पूजा

इस दिन माता सीता जी पूजा की शुरुआत गणेश जी और अंबिका जी की अर्चना से की जाती है। इसके बाद सीता जी की मूर्ति या तस्वीर पर पीले फूल, कपड़े और श्रृंगार का सामान चढ़ा कर पूजन किया जाता है। साथ ही 108 बार नीचे लिखे मंत्र का जाप करते हैं

श्री जानकी रामाभ्यां नमः, जय श्री सीता राम, श्री सीताय नमः ।

एेसी मान्यता है कि यह पूजा विवाहित महिलाओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी होती है, आैर इस दिन पूजा करने से वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं।


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