जानें, क्यों किया जाता है मंगला गौरी व्रत और क्या है इसकी कथा
ऐसा मान्यता है कि अगर किसी युवती की शादी नहीं हो रही है अथवा शादी में बाधाएं आ रही हैं तो उसे मंगला गौरी व्रत जरूर करना चाहिए।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। मंगलवार का दिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम के अनन्य भक्त हनुमान जी को समर्पित है। इसके साथ ही मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत भी किया जाता है। इस दिन माता पार्वती की पूजा-उपासना की जाती है। इस व्रत को महिलाएं अपनी सुहाग की रक्षा और संतान प्राप्ति के लिए करती हैं। ऐसा मान्यता भी है कि अगर किसी युवती की शादी नहीं हो रही है अथवा शादी में बाधाएं आ रही हैं, तो उसे मंगला गौरी व्रत जरूर करना चाहिए। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से युवती की शादी में आ रही सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। आइए, अब मंगला गौरी व्रत कथा के बारे में जानते हैं-
मंगला गौरी व्रत कथा
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन समय में धर्मपाल नामक एक सेठ रहता था, जो सर्वगुण सम्पन्न था। सेठ धर्मपाल के पास धन-धान्य की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। यह बात उन्हें हमेशा कचोटती रहती थी कि अगर उनकी कोई संतान नहीं हुई तो उनका वारिस कौन होगा? कौन इस व्यापार की देखरेख करेगा? यह सब सोचकर धर्मपाल दम्पत्ति हमेशा चिंतित रहते थे।
इसके बाद गुरु के परामर्श के अनुसार, सेठ धर्मपाल ने माता पार्वती की श्रद्धा पूर्वक पूजा उपासना की। इस पुण्य प्रताप से एक दिन खुश होकर माता पार्वती प्रकट होकर बोली-हे वत्स! तुम्हारी भक्ति से अति प्रसन्न हुई हूं, मांगो जो वर मांगना चाहते हो! उस समय धर्मपाल दम्पत्ति ने संतान प्राप्ति की कामना की। इसके बाद माता पार्वती ने कहा-हे वत्स ! संतान प्राप्ति होगी, लेकिन संतान अल्पायु होगा। तुम्हारा कल्याण हो! यह कहकर मां अंतर्ध्यान हो गई।
कालांतर में धर्मपाल की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। उस समय सेठ धर्मपाल ने ज्योतिषों को बुलाकर पुत्र का नामांकरण करवाया। फिर सेठ धर्मपाल ने माता पार्वती के वचन से ज्योतिषों को अवगत कराया। उस समय ज्योतिषों ने कहा-आप अपने पुत्र की शादी उस कन्या से कराएं जो मंगला गौरी व्रत करती हो! मंगला गौरी व्रत के पुण्य प्रताप से आपका पुत्र दीर्घायु होगा।
यह व्रत महिलाएं अपने सुहाग के दीर्घायु और पुत्र प्राप्ति के लिए करती हैं। कालांतर में सेठ धर्मपाल के पुत्र की शादी मंगला गौरी व्रत करने वाली कन्या से हुई। कन्या के पुण्य प्रताप से धर्मपाल का पुत्र मृत्यु पाश से मुक्त हो गया। अतः इस व्रत का विशेष महत्व है। इसे अविवाहित युवतियां और महिलाएं हर मंगलवार को करती हैं। खासकर सावन के हर मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत मनाने का विधान है।