जानें कैसे करें उत्पन्ना एकादशी में व्रत और पूजा
विष्णु भगवान से उत्पन्न हो कर उनकी रक्षा करने वाली एकादशी को जन्मी देवी की पूजा और व्रत को उत्पन्ना एकादशी के नाम से मनाया जाता है।
सतयुग में हुई देवी प्रकट
मार्गशीर्ष मास की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि इसी दिन भगवान विष्णु के शरीर से एक देवी का जन्म हुआ था। इस देवी ने मुर नाम के राक्षस को मारकर भगवान विष्णु की रक्षा की थी। तभी से सतयुग से एकादशी व्रत की शुरूआत हुई थी।
ऐसे करें व्रत और पूजा
उत्पन्ना एकादशी को ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। इसके नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर शुद्ध जल से स्नान करें। इसके बाद धूप, दीप, फूल, जल और भोग सहित समस्त पवित्र वस्तुओं से देवी की पूजा करके व्रत प्रारंभ करें। इस दिन चोर, पाखंडी, परस्त्रीगामी, निंदक, मिथ्याभाषी और अन्य किसी भी बुरे काम में संलग्न व्यक्ति से बात करने से परहेज करें।
व्रत के पूर्ण होने का समय
एकादशी तिथि 14 नवंबर 2017 को रात 12.24 बजे समाप्त होगी और उसका पारण इसी दिन सांय 06:44 से रात्रि 08:55 तक किया जा सकता है। इस व्रत को करने वाले को इस पूरी अवधि में सदाचरण का पालन करना चाहिए और गलत कामों में लिप्त होने से बचना चाहिए। यहां तक कि इस व्रत में किसी गलत कार्य करने वाले से संपर्क भी नहीं रखना चाहिए।