बुधवार को विनायक पूजा का ऐसा होता है विधान
बुधवार को श्री गणेश जी की पूजा होती है इस दिन कुछ लोग व्रत भी करते हैं। आइये जाने इस पूजा और व्रत का विधान।
By Molly SethEdited By: Published: Wed, 07 Feb 2018 10:14 AM (IST)Updated: Wed, 07 Feb 2018 10:16 AM (IST)
गणपति की पूजा है खास
विध्नहरण मंगलकरण यानि की विघ्नों का नाश करने के लिए लोग गणपति की उपासना करते हैं। वैसे तो गणेश जी की पूजा हर धार्मिक अनुष्ठान में सबसे पहले होती है, लेकिन बुधवार का दिन भक्तों के लिए खास होता है। इस दिन सिद्धि विनायक श्री गणेश जी का व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत में कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
पूजा का विधान
शास्त्रों के मुताबिक बुधवार का व्रत पूरे दिन स्वच्छ मन से रखना चाहिए। हालांकि जो लोग व्रत रखने में असमर्थ हैं वह गणेश जी की पूजा के बाद अन्न ग्रहण कर सकते हैं। इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें। इसके बाद गणेश जी के सामने हाथ जोड़कर व्रत करने का संकल्प लें। फिर दोपहर को मध्याह्न काल एक पाटे पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर गणेश जी छोटी प्रतिमा या फिर कैलेंडर आदि रखें। इसके बाद कलश स्थापित कर विधिविधान से उनकी पूजा करें व कथा पढ़ें। आरती कर पूजा समाप्त करें।
मोदक का भोग उत्तम
गणेश जी के सामने प्रसाद में मोदक का भोग जरूर लगाएं। मान्यता है कि अगर गणपति पूजा में मोदक का भोग नहीं लगाया तो उनके व्रत व पूजा अधूरे माने जाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गणेश जी को मोदक बहुत पसंद हैं। इस दिन पर गणेश जी के इन 10 नामों को पढ़ते हुए 21 दुर्वा उन पर चढ़ानी चाहिए। ॐ गणाधिपाय नम, ॐ उमापुत्राय नम, ॐ विघ्ननाशनाय नम, ॐ विनायकाय नम, ॐ ईशपुत्राय नम, ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नम, ॐ एकदंताय नम, ॐ इभवक्ताय नम, ॐ मूषकवाहनाय नम,ॐ कुमारगुरवे नम। इससे गणेश जी अपने भक्तों पर प्रसन्न उनकी हर बाधा को दूर करते हैं। उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।
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