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Kajari Teej 2021 : कजरी तीज की रोचक जानकारियां, जानिये चंद्रमा को अर्ध्य देने की सही विधि

Kajari Teej 2021 भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की तृतीया को को मनाई जाती है। इस बार यह पर्व 25 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन सुहागिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां माता नीमड़ी की पूजा करती है। जिससे उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

By Ritesh SirajEdited By: Published: Tue, 24 Aug 2021 08:43 PM (IST)Updated: Wed, 25 Aug 2021 07:06 AM (IST)
Kajari Teej 2021  : कजरी तीज की रोचक जानकारियां, जानिये चंद्रमा को अर्ध्य देने की सही विधि
कजरी तीज की रोचक जानकारियां, जानिये चंद्रमा को अर्ध्य देने की सही विधि

Kajari Teej 2021  : सनातन पंरपरा में महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए कई व्रतों का पालन करती हैं उन्हीं में से एक कजरी तीज है। इसी को हम कजली तीज के नाम से भी जानते हैं। यह पर्व रक्षाबंधन के तीसरे दिन यानि भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की तृतीया को को मनाई जाती है। इस बार यह पर्व 25 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन सुहागिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां माता नीमड़ी की पूजा करती है। जिससे उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। महिलाओं के लिए यह पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। आइये जानते हैं कि कजरी तीज की क्या-क्या पंरपरा और चंद्रमा को अर्ध्य देने की विधि

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कजरी तीज की पंरपरा

1. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की मंगलकामना और दीर्घायु के लिए इस व्रत को रखती हैं। वही कुंवारी लड़कियां अच्छे वर पाने की कामना से इस व्रत को रखती है।

2. कजरी तीज में जौ, गेहूँ, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर अलग-अलग तरीके का पकवान बनाया जाता है। चंद्रमा उदय के बाद इसी पकवान को खाकर व्रत तोड़ा जाता है। 

3. कजरी तीज के दिन ढोलक की थाप पर कजरी गीत गाया जाता है। इसका आयोजन बड़े पैमाने पर किया जाता है। जिसे सभी लोग चाव से सुनते हैं।

4. कजरी तीज के दिन गाय की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दिन गाय को रोटी के साथ घी और गुड़ लगाकर खिलाने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।  

चंद्रमा को अर्ध्य देने की विधि

इस दिन संध्या काल के समय माता नीमड़ी का पूजा करने के बाद चांद को अर्ध्य देने की पंरपरा है। 

चंद्रमा को जल के छींटे देकर रोली, रक्षा और अक्षत चढ़ाकर उसके बाद पर्व के लिए गए पकवान को अर्पित करते हैं। 

चांदी की अंगूठी और गेहूँ के दाने को हाथ में लेकर जल से अर्ध्य देना चाहिए। अर्ध्य देते वक्त एक ही जगह खड़े होकर चार बार घूमना चाहिए। 

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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