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योगिनी एकादशी व्रत की विधि-विधान से करें पूजा, जानें पारण का समय

हिंदू धर्म मान्‍यता के अनुसार हर साल चौबीस एकादशियाँ होती हैं। उनमें से आषाढ़ मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं।

By molly.sethEdited By: Published: Mon, 19 Jun 2017 10:52 AM (IST)Updated: Wed, 21 Jun 2017 02:03 PM (IST)
योगिनी एकादशी व्रत की विधि-विधान से करें पूजा, जानें पारण का समय
योगिनी एकादशी व्रत की विधि-विधान से करें पूजा, जानें पारण का समय

 भगवान विष्‍णु की होती है पूजा

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आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं। मान्‍यता है कि इसके व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इस वर्ष योगिनी एकादशी 20 जून को मनायी जायेगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस एकादशी का व्रत करने से एक दिन पहले ही व्रत का संकल्प करके अगले दिन प्रात: स्नान आदि क्रियाओं से निवृत्त होकर विष्‍णु जी के श्री लक्ष्मी नारायण जी रूप का पूजन करना चाहिए। योगनी एकादशी के दिन पीपल वृक्ष की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। इस व्रत में केवल फलाहार ही किया जाता है। दशमी दिन से व्रत का आरंभ करने के लिए रात को प्रभु के नाम का कीर्तन करते हुए जागरण करना चाहिए। दशमी से ही व्रत की इच्‍छा करने वालों को लहसुन, प्याज जैसे तामसी भोजन का त्याग कर देना चाहिए। इसके बाद एकादशी के दिन ब्रम्ह मुहूर्त में उठ कर स्नान आदि से निवृत होने के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित कर पुष्प, चन्दन, कुमकुम, घी दीप, धूपबत्ती, फल एवम चूरमा प्रसाद से उनकी पूजा करें। घी के दीपक से लक्ष्‍मी नारायण की आरती उतारें और लड्डू, चूरमे और फल का भोग लगायें। पूजा पूरी होने के बाद भगवान से परिवार के कुशल मंगल और समस्त पापो को नाश करने की प्रार्थना करें। कहते हैं कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से सारे पाप मिट जाते हैं और जीवन में समृद्धि और आनन्द की प्राप्ति होती है। योगिनी एकादशी का व्रत करनेवाले को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। योगिनी एकादशी का व्रत करना अठ्ठासी हज़ार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर माना जाता है। 

ऐसे करें पारण

एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं। जो अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। योगिनी एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को ही उसके समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यानि अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो रही हो तो व्रत करने वाला उसी के अनुसार पारण करे। एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद, द्वादशी तिथि के भीतर न करना पाप करने के समान होता है। व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए। व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती है। द्वादशी तिथि यानी इस बार 21 जून को अपनी क्षमता के अनुसार ब्राह्मणों को दान देकर व्रत का पारण करना चाहिए। इस बार एकादशी तिथि प्रारम्भ 20 जून 2017 को 01:11 बजे होगा और समापन 20 जून 2017 22:28 बजे है। जबकि पारण का समय 5:28 से 08:14 बजे के बीच है। पारण तिथि द्वादशी 19:14 बजे समाप्त हो जायेगी।


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