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श्री कृष्ण के गौ प्रेम का प्रतीक है गोपाष्टमी, जाने कैसे करें पूजा

श्रीकृष्ण का गौ माता से प्रेम अदभुत था आैर उसी को समर्पित है गोपाष्टमी का पर्व, पंडित दीपक पांडे बता रहे हैं इस पर्व का महत्व आैर पूजन विधि।

By Molly SethEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 03:56 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 09:47 AM (IST)
श्री कृष्ण के गौ प्रेम का प्रतीक है गोपाष्टमी, जाने कैसे करें पूजा
श्री कृष्ण के गौ प्रेम का प्रतीक है गोपाष्टमी, जाने कैसे करें पूजा

ब्रज की संस्कृति का प्रतीक 

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गोपाष्टमी ब्रज संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है। पौराणिक कथाआें के अनुसार कार्तिक, शुक्ल पक्ष, की प्रतिपदा से सप्तमी तक गौ, गोप आैर गोपियों की रक्षा के लिए श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को धारण किया था। इसके बाद 8वें दिन इन्द्र का अहंकार भंग हुआ आैर वे भगवान की शरण में आये। तब कामधेनु ने कृष्ण जी का अभिषेक किया और उसी दिन से उनका नाम गोविन्द पड़ा। तभी से अष्टमी को गोपोष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा। इस बार गोपाष्टमी: 16 नवंबर 2018 को पड़ रहा है। गोपाष्टमी तिथि प्रारंभ: 07:04, पर 15 नवंबर 2018 को होगा आैर समाप्ति 16 नवंबर 2018 को 09:40, पर होगी। 

गोपाष्टमी कथा 

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपा अष्टमी के रूप में जाना जाता है। ऐसी मान्यता है की इंद्र के प्रकोप से ब्रज के निवासियों आैर प्राणियों को बचाने के लिए श्री कृष्ण ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से अष्टमी तक गोवर्धन पर्वत को धारण किए रहे और अंत में इंद्र ने अपने अहंकार को त्याग कर भगवान श्री कृष्ण क्षमा प्रार्थना की। इसी उपलक्ष्य में ब्रज क्षेत्र और संपूर्ण भारत में गोपाष्टमी का उत्सव मनाया जाता है।  

पूजा विधान 

इस दिन गोवर्धन, गाय और बछड़े तथा गोपाल की पूजन का विधान है। शास्त्रों में कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन गायों को भोजन खिलाता है, उनकी सेवा करता है तथा सायं काल में गायों का पंचोपचार विधि से पूजन करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। आधुनिक युग में यदि हम गोपाष्टमी पर गौशाला के लिए दान करें और गायों की रक्षा के लिए प्रयत्न करें तो गोपाष्टमी का पर्व सार्थक होता है और उसका फल भी प्राप्त होता है। इस वर्ष धनिष्ठा नक्षत्र 11:46 तक तत्पश्चात शतभिषा नक्षत्र रहेगा। 11:46 से ही रवि योग प्रारंभ होगा।  आज के दिन अगर श्यामा गाय को भोजन कराएं तो और भी अच्छा होता है।

पूजन विधि 

गोपाष्टमी पर ब्रह्म मुहूर्त में गाय और उसके बछड़े को नहलाकर उसका श्रृंगार करें। इसके बाद गौ माता की परिक्रमा कर उन्हें बाहर लेकर जायें और कुछ दूर तक उनके साथ चलें। साथ ही आज ग्वालों को दान करना चाहिए। शाम को जब गाय घर लौटती हैं, तब फिर उनकी पूजा करें। खासतौर पर इस दिन गाय को हरा चारा, हरा मटर एवं गुड़ खिलायें। जिन के घरों में गाय नहीं हैं वे लोग गौशाला जाकर गाय की पूजा करें। उन्हें गंगा जल, फूल चढ़ायें आैर दिया जलाकर गुड़ खिलायें। गौशाला में खाना और अन्य वस्तु आदि दान भी करनी चाहियें। ऐसी मान्यता है कि गोपाष्टमी के दिन गाय के नीचे से निकलने वालों को पुण्य मिलता है। 


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