16 दिन तक घर में रहेगा मां महालक्ष्मी का वास, ऐसे करें पूजा व रखें उपवास
महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत 29 अगस्त से होगी। सोलह दिनों तक चलने वाली इस पूजा में मां लक्ष्मी की अराधना करने से परेशानियों से मुक्ति मिलती हैं। जानें कैसे करें मां महालक्ष्मी की पूजा...
एक दिन का व्रत भी:
शास्त्रों के मुताबिक धनधान्य की देवी महालक्ष्मी की पूजा 16 दिन तक चलती है। यह भाद्रपद के शुक्लपक्ष की अष्टमी से शुरू होती और आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को समाप्त होती है। जिससे इन 16 दिनों तक महालक्ष्मी की पूजा विधिविधान से होती है। इसके अलावा इनका व्रत भी रखा जाता है। हालांकि जो लोग पूरे 16 दिन व्रत नहीं रख पाते हैं। वह सिर्फ पहले दिन और आखिरी दिन व्रत रखकर मां महालक्ष्मी की विधि विधान से पूजा करते हैं।
सुबह-शाम करें आरती:
इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी की हाथी पर विराजित मिट्टी की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद मूर्ति के सामने श्रीयंत्र रखकर मां लक्ष्मी की पूजा शुरू करें। मां महालक्ष्मी की पूजा में कमल का फूल रखना जरूरी होता है। पूजा में मां महालक्ष्मी में सोने या चांदी का कोई एक आभूषण अर्पित करना होता है। पूजा के आखिरी में मिठाई का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करें। सुबह-शाम आरती करें।
16 दिन तक रक्षा सूत्र:
जो भी महिला या पुरुष मां महालक्ष्मी का व्रत व पूजन करते हैं। उन्हें पहले दिन पूजा के समय ही हल्दी से रंगा 16 गांठ का रक्षासूत्र अपने हाथ में बंधना होता है। यह सूत्र 16वें दिन की पूजा के बाद किसी नदी या सरोवर में विसर्जित किया जाता है। आखिरी दिन सामर्थ्य के अनुसार पकवान आदि बनाकर दान करना चाहिए। मां महालक्ष्मी भक्तों की तन-धन व जीवन से जुड़ी हर तरह की समस्याएं दूर करती हैं। उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं।
इन आठ नामों का जाप:
महालक्ष्मी की पूजा में हर दिन मां लक्ष्मी के लिए इन आठ नामों का जप जरूर करें। ऊं आद्यलक्ष्म्यै नम:, ऊं विद्यालक्ष्म्यै नम:, ऊं सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:, ऊं अमृतलक्ष्म्यै नम:, ऊं कामलक्ष्म्यै नम:, ऊं सत्यलक्ष्म्यै नम:, ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:, ऊं योगलक्ष्म्यै नम:। शास्त्रों के मुताबिक इस व्रत का संबंध महाभारत काल से हैं। माता कुंती तथा गांधारी द्वारा एक सरल व्रत के बारे में पूछने पर व्यास जी ने इस व्रत का व्याख्यान किया था।