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Karwa Chauth Muhurat: इस मुहूर्त में करें चौथ माता की आराधना, जानें पूजा की आसान विधि और चंद्र अर्घ्य मंत्र

Karwa Chauth Puja Vidhi and Shubh Muhurat करवा चौथ का व्रत आज मनाया जा रहा है। आइए जानते हैं कि चौथ माता की पूजा कैसे करें।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 10:57 AM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 06:16 PM (IST)
Karwa Chauth Muhurat: इस मुहूर्त में करें चौथ माता की आराधना, जानें पूजा की आसान विधि और चंद्र अर्घ्य मंत्र
Karwa Chauth Muhurat: इस मुहूर्त में करें चौथ माता की आराधना, जानें पूजा की आसान विधि और चंद्र अर्घ्य मंत्र

Karwa Chauth Puja Vidhi and Shubh Muhurat: कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को सौभाग्यवती स्त्रियों द्वारा मनाया जाने वाला पर्व करवा चौथ आज मनाया जा रहा है। आज महिलाएं चौथ माता की विधि विधान से पूजा अर्चना करेंगी। चौथ माता मां गौरी का ही एक स्वरूप हैं। चन्द्रमा को अर्घ्य देकर स्त्रियां अखण्ड-सौभाग्य एवं पारिवारिक-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। अति महत्वपूर्ण करवाचौथ को पुराणों में करक-चतुर्थी के नाम से उद्घोषित किया गया है। इसके अधिपति देवता गौरी-गणेश माने गए हैं। चंद्रोदय का समय रात्रि में 7 बजकर 58 बजे है।

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सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जल-व्रत रहते हुए महिलाएं गौरी-गणेश, शिव एवं भगवान कार्तिकेय का पूजन कर अखण्ड समृद्धि के प्रतीक 10 करवे को समर्पित करती हैं।

पूजा का मुहूर्त

शाम को 06 बजकर 28 मिनट से रात 09 बजकर 43 मिनट तक।

चंद्रमा को अर्घ्य देने का मुहूर्त

रात्रि में 7 बजकर 58 बजे से।

करवा चौथ पूजा की आसान विधि

निर्जला व्रत रखते हुए चंद्रमा के उदय होने पर संकल्प के साथ पुष्प, अक्षत्, रोली, नारा(मौली), चावल एवं हल्दी को पीसकर बनाया गया ऐपन, खड़ी सुपारी, छुट्टा पान, फल, भोग का लड्डू एवं वस्त्रादि से विधिवत गौरी-गणेश का पूजन करें।

इस दौरान चौथ की कथा सुनना अथवा स्वयं पढ़ना चाहिए। प्रारम्भ में पूजन साक्षी के निमित्त दीपक अवश्य जलाना चाहिए। भोग समर्पित करने से पहले धूप-अगरबत्ती अवश्य दिखाना चाहिए।

करवा चौथ पूजन मन्त्र

“ प्रणम्य शिरसा देवम, गौरी पुत्रम विनायकम।

भक्तावासम स्मरेनित्यम आयु: सौभाग्य वर्धनम ।।

इस प्रकार पंचोपचार पूजन एवं कथा-सुनने के बाद करवे का आदान-प्रदान कर पारिवारिक सुख-समृद्धि एवं अखण्ड सौभाग्य की प्रार्थना करनी चाहिए।

पीला सिंदूर अर्पित करें

गौरी-गणेश को इस मंत्र के साथ पीला सिंदूर अर्पित करना चाहिए।

मन्त्र- सिंदूरम शोभनम रकत्म, सौभाग्यम सुख वर्धनम।

शुभदम कामदम चैव सिंदुरम प्रतिगृह्यताम।।

इस प्रकार अर्घ्य-पात्र में सफ़ेद फूल, चन्दन, दूध, जल, सुपारी, इत्र डालकर केश के छोर से इस मन्त्र के द्वारा चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए-

अर्घ्य मंत्र

“एहि चन्द्र सहस्रांशो तेजोराशेजगत्पते कृपाकुरु मे देव गृहाण अर्घ्य्म सुधाकर:।।”

अर्घ्य के बाद कपूर की आरती करके हाथ में जल लेकर इस प्रकार कहते हुए अपनी पूजा एवं व्रत को देवों को समर्पित करें- 

“ ॐ अनया पूजया श्री चन्द्र देव सहिताय गणेश अम्बिका प्रीयताम नमम्।।

आरती के समय आप भगवान गणेश की आरती और मां दुर्गा की आरती गा सकते हैं।

— ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट


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