Move to Jagran APP

Karwa Chauth 2019 History: ऐसे शुरू हुआ था करवा चौथ का व्रत, देवताओं के संग्राम से जुड़ी है घटना

Karwa Chauth 2019 History and Importance सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत अपने पति की मंगलकामना दीर्घायु एवं सुखी जीवन के लिए रखती हैं।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 05:16 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 08:52 AM (IST)
Karwa Chauth 2019 History: ऐसे शुरू हुआ था करवा चौथ का व्रत, देवताओं के संग्राम से जुड़ी है घटना
Karwa Chauth 2019 History: ऐसे शुरू हुआ था करवा चौथ का व्रत, देवताओं के संग्राम से जुड़ी है घटना

Karwa Chauth 2019 History and Importance: सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत अपने पति की मंगलकामना, दीर्घायु एवं सुखी जीवन के लिए रखती हैं। करवा चौथ को पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हुए महिलाएं शिव और गौरी की ​विधि ​विधान से पूजा करती हैं। शाम को करवा चौथ की कथा सुनती हैं और अंत में चंद्रमा को अघ्र्य देकर अपना व्रत खोलती हैं। करवा चौथ का व्रत कब से मनाया जा रहा है और इसका इतिहास क्या है? इसका जवाब पौराणिक कथाओं से मिलता है।

loksabha election banner

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवताओं की पत्नियों ने उनकी मंगलकामना और असुरों पर विजय प्राप्ति के लिए करवा चौथ जैसा व्रत रखा था। एक बार देवों और असुरों में संग्राम छिड़ गया। असुर देवताओं पर भारी पड़ रहे थे, देवताओं की शक्ति असुरों के सामने कम पड़ रही थी। असुरों को पराजित करने के लिए उनके पास कुछ उपाय नहीं सूझ रहा था।

ऐसे में देवता गण ब्रह्मा जी के पास असुरों को हराने का उपाय जानने पहुंचे। ब्रह्मा जी को देवताओं की समस्या का ज्ञान पहले से ही था। उन्होंने देवताओं को असुरों पर विजय प्राप्ति का उपाय बताया। उन्होंने कहा कि देवताओं की पत्नियों को अपने पतियों की मंगलकामना और असुरों पर विजय के लिए व्रत रखना चाहिए। इससे निश्चित ही देवताओं को विजय प्राप्त होगी।

Karwa Chauth 2019 Date: 17 अक्टूबर को है करवा चौथ, जानें चन्द्रमा को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त

ब्रह्म देव के बताए उपाय को ध्यान में रखकर देवताओं की पत्नियों ने व्रत रखा। उस दिन कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि थी। सभी देवताओं की पत्नियों ने पूजा अर्चना की, अपने पतियों की मंगलकामना और युद्ध में विजय की प्रार्थना की। उनका व्रत सफल रहा। उस संग्राम में देवों ने असुरों को हरा दिया। जब इसकी खबर देवताओं की पत्नियों को हुई तो उन सभी ने रात्रि के समय जल ग्रहण करके अपना व्रत खोला। उस समय चांद आसमान में अपनी चांदनी बिखेर रहा था। व्रत खोलने के बाद सभी ने भोजन किया।

ऐसी मान्यता है कि इस घटना के बाद से ही पतियों की मंगलकामना और सुखी जीवन के लिए करवा चौथ का व्रत रखा जाने लगा। समय के साथ-साथ इसमें कुछ बदलाव होते गए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.