कार्तिक पूर्णिमा 2018: सिख धर्म में भी खास ये दिन एेसे करें पूजा, कहलाता है गुरू पर्व
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व सिख मत को मानने वालों के लिए भी बेहद खास होता है। पंडित दीपक पांडे बता रहे हैं इस दिन कैसे करें पूजा।
प्रकाश पर्व का अर्थ
सिख सम्प्रदाय में कार्तिक पूर्णिमा का दिन प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है, इसलिए इसे प्रकाश पर्व भी कहते हैं। एेसा इसलिए है क्योंकि इसी दिन सिखों के संस्थापक गुरू नानक देव जी का जन्म हुआ था। इस दिन सिख सम्प्रदाय के अनुयायी सुबह स्नान कर गुरूद्वारों में जाकर गुरूवाणी सुनते हैं और नानक जी के बताये रास्ते पर चलने की शपथ लेते हैं। इसे गुरु पर्व भी कहा जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक असुर का अंत किया था। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी का आर्शवाद प्राप्त होता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान करने का पुण्य फल मिलता है।
उपवास आैर दान का महत्व
इस दिन व्रत रखने आैर दान पुण्य करने का अत्यधिक महत्व माना गया है। मान्यता है कि इस पूर्णिमा पर पूरे दिन व्रत रखकर रात्रि में वृषदान यानी बछड़ा दान करने से शिवपद की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति इस दिन उपवास करके भगवान भोलेनाथ का भजन और पूजन करता है उसे अग्निष्टोम नामक यज्ञ के तुल्य फल प्राप्त होता है। इस पूर्णिमा को शैव मत में जितनी मान्यता मिली है उतनी ही वैष्णव मत में भी मानी जाती है।
स्नान का महातम्य
महर्षि अंगिरा द्वारा लिखित स्नान के प्रसंग में बताया गया है कि यदि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करते हुए कुशा ना ग्रहण की जाये और दान करते समय हाथ में जल एवम् जप करते समय संख्या का संकल्प नहीं किया जाए तो कर्म फल की प्राप्ति नहीं होती है। शास्त्र के नियमों का पालन करते हुए इस दिन स्नान करते समय पहले हाथ-पैर धो लें फिर आचमन करके हाथ में कुशा लेकर स्नान करें, इसी प्रकार दान देते समय में हाथ में जल लेकर दान करें। आप यज्ञ और जप कर रहे हैं तो पहले संख्या का संकल्प कर लें फिर जप और यज्ञादि कर्म करें।
एेसे करें पूजा
पंडितों का कहना है कि अगर आप दीपदान के लिए आप गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी के घाटों तक नहीं जा सकते तो अपने भवन पर 9 अथवा 11 दीपक प्रज्वलित करें। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करें। इसी दिन संपूर्ण मास के कार्तिक स्नान का संकल्प भी समाप्त होता है। समस्त सनातन धर्मावलंबी कार्तिक महीने में गंगा स्नान करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर व्रत रखने का संकल्प करें। इसके बाद गंगा, यमुना आदि पवित्र नदी में स्नान का प्रयास अवश्य करें। भगवान विष्णु के किसी एक स्वरूप की पूजा करते हुए श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें। अंत में संभव हो तो गौ दान करें।