Kajari Teej 2021 Katha: सुखी वैवाहिक जीवन के लिए पढ़ें कजरी तीज व्रत कथा, जानें महत्व
Kajari Teej 2021 Katha धार्मिक मान्यता के अनुसार सुहागिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां इस व्रत का पालन करती हैं। इसको कजरी तीज भी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं पति के दीर्घायु और संतान सुख के लिए इस व्रत का पालन करती हैं।
Kajari Teej 2021 Katha : हिंदी पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास चल रहा हैं। इस महीने में कजली तीज के व्रत का पालन किया जाता है। यह पर्व कृष्ण पक्ष के तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह 25 अगस्त को पड़ रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सुहागिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां इस व्रत का पालन करती हैं। इसको कजरी तीज भी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं पति के दीर्घायु और संतान सुख के लिए इस व्रत का पालन करती हैं। इस पर्व में महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम में चंद्रमा को अर्घ्य देकर इस व्रत का पारण करती हैं। आइये जानते हैं इस व्रत में की पौराणिक कथा क्या है?
कजरी तीज व्रत कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार एक गांव में एक ब्राह्मण रहता था। गरीबी की वजह से जीवन यापन करना मुश्किल हो गया था। एक दिन ब्राह्मण की पत्नी ने भाद्रपद महीने की कजली तीज के व्रत का संकल्प ले लिया था। माता तीज की पूजा के लिए घर में सत्तु नहीं था। पत्नी ने कहा की आप चाहे जहां से सत्तु लेकर आइये। पत्नी की जिद्द और भक्ति देखकर ब्राह्मण चोरी करने के लिए तैयार हो गया। वह संध्याकाल में एक साहूकार के दुकान में चोरी से घुस गया और वहां से सत्तु लेकर जाने लगा, तभी किसी चीज के गिरने से सभी नौकर जग गए और उस ब्राह्मण को पकड़ लिये।
ब्राह्मण को साहूकार के पास लेकर जाया गया। जहां पर वह जोर-जोर से चिल्लाकर कह रहा था कि वह चोर नहीं है। सिर्फ अपने पत्नी के व्रत की पूर्ति के लिए सत्तु लेने आया था बस। ब्राह्मण की बात सुनकर साहूकार ने उसकी तलाशी लेने को कहा। हालांकि उसके पास सत्तु के अलावा और कुछ नहीं मिला। साहूकार ने ब्राह्मण को माफ करते हुए सत्तु के साथ-साथ गहने, मेंहदी, रूपये देकर विदा किया। उसके बाद सभी ने मिलकर कजली माता की पूजा की। माता की कृपा से ब्राह्मण परिवार के जीवन में खुशहाली आ गई।
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