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Kaal Bhairav Jayanti 2021: आज है काल भैरव जयंती? जानिए मुहूर्त और पूजन विधि

Kaal Bhairav Jayanti 2021 पौराणिक मान्यता के अनुसार काल भैरव का जन्म मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन हुआ था। इस साल काल भैरव जयंति 27 नवंबर को मानाई जाएगी। आइए जानते हैं काल भैरव जयंति की तिथि मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में.....

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Mon, 22 Nov 2021 05:48 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 06:00 AM (IST)
Kaal Bhairav Jayanti 2021: आज है काल भैरव जयंती? जानिए मुहूर्त और पूजन विधि
Kaal Bhairav Jayanti 2021: आज है काल भैरव जयंती? जानिए मुहूर्त और पूजन विधि

Kaal Bhairav Jayanti 2021: भगवान शिव के उग्र स्वरूप को काल भैरव के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म विशेषकर शैव और शाक्त संप्रदाय में काल भैरव के पूजन का विशिष्ट महत्व है। इनके पूजन से मृत्यु भय पर विजय की प्राप्ति होती है। काल भैरव का भक्त कभी अकाल मृत्यु को प्राप्त नहीं होता है। काल भैरव के जन्म या अवतरण की कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। लेकिन पौराणिक मान्यता के अनुसार काल भैरव का जन्म मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन हुआ था। इस आधार पर इस साल काल भैरव जयंति 27 नवंबर को मानाई जाएगी। आइए जानते हैं काल भैरव जयंति की तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में.....

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काल भैरव जयंति की तिथि और मुहूर्त

हिंदी पंचांग के प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार मार्गशीर्ष या अगहन माह की कालाष्टमी तिथि के दिन काल भैरव का अवतरण हुआ था। इस दिन को काल भैरव जयंती के नाम से जाना जाता है। इस साल काल भैरव जंयति 27 नवंबर, दिन शनिवार को मनाई जाएगी। मान्यता है कि काल भैरव जयंति के दिन विधि पूर्वक पूजन करने से आपके सारे रोग दोष दूर हो जाते हैं और काल आर्थात मृत्यु पर विजय की प्राप्ति होती है।

काल भैरव जयंती की पूजन विधि

काल भैरव भगवान शिव का ही उग्र और रौद्र रूप हैं। इनके पूजन से भूत-प्रेत बाधा, मंत्र-तंत्र, जादू-टोने का प्रभाव समाप्त होता है। वैसे तो काल भैरव का पूजन वाम मार्गी संप्रदाय के लोग तांत्रिक विधि से करते हैं। लेकिन गृहस्थों को सात्विक विधि से काल भैरव का पूजन करना चाहिए। काल भैरव जयंति का पूजन प्रदोष काल में या रात्रि काल में करना विशेष फलदायी माना जाता है। इस दिन काल भैरव का षोढ़शोपचार विधि से पूजन करते हुए भैरव चालीसा और आरती का पाठ करना चाहिए। इस दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व होता है। काल भैरव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी सवारी काले कुत्ते को रोटी जरूर खिलानी चाहिए।

डिस्क्लेमर

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''

 


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