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Jyestha 2020: आज से शुरू है ज्येष्ठ महीना, जानें-कौन से प्रमुख व्रत कब मनाएं जाएंगे

Jyestha 2020धार्मिक मान्यता है कि वट पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र में विराजमान रहते हैं। इसलिए इस माह को ज्येष्ठ माह कहा जाता है।

By Umanath SinghEdited By: Published: Fri, 08 May 2020 11:41 AM (IST)Updated: Fri, 08 May 2020 11:41 AM (IST)
Jyestha 2020: आज से शुरू है ज्येष्ठ महीना, जानें-कौन से प्रमुख व्रत कब मनाएं जाएंगे
Jyestha 2020: आज से शुरू है ज्येष्ठ महीना, जानें-कौन से प्रमुख व्रत कब मनाएं जाएंगे

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Jyestha 2020: हर साल बुद्ध पूर्णिमा के अगले दिन से ज्येष्ठ माह की शुरुआत होती है। इस साल ज्येष्ठ महीने की शुरुआत 8 मई को हो रही है। इस महीने कई पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं, जिनका विशेष महत्व है। इनमें नारद जयंती, हनुमान जयंती, अपरा एकादशी, निर्जला एकादशी, गंगा दशहरा प्रमुख है। साथ ही वट सावित्री व्रत मनाया जाता है, जिसे सौभाग्यवती महिलाएं करती हैं। ज्येष्ठ माह का समापन वट पूर्णिमा के दिन 5 जून को होगी। इस महीने भीषण गर्मी पड़ती है, इसलिए इस महीने को 'जलमास' भी कहा जाता है।

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कैसे पड़ा नाम ज्येष्ठ

धार्मिक मान्यता है कि वट पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र में विराजमान रहते हैं। इसलिए इस माह को ज्येष्ठ माह कहा जाता है। हिंदी वार्षिक कैलेंडर में यह साल का तीसरा महीना होता है।

ज्येष्ठ माह के प्रमुख व्रत और त्योहार इस तिथि को पड़ी है

8 मई को नारद जयंती मनाई जा रही है।

10 मई को संकष्टी चतुर्थी है।

14 मई को कालाष्टमी है। इस दिन भगवान शिव के काल भैरव स्वरूप की पूजा की जाती है।

17 मई को तेलुगु पंचांग के अनुसार हनुमान जयंती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन ही हनुमान जी अपने आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम राम से मिले हैं।

18 मई को अपरा एकादशी है।

22 मई को वट सावित्री व्रत मनाया जाएगा।

22 मई को शनि जयंती है।

31 महेश नवमी है।

1 जून को गंगा दशहरा मनाया जाएगा।

2 जून को निर्जला एकादशी और गायत्री जयंती है।

5 जून को वट पूर्णिमा या ज्येष्ठ पूर्णिमा मनाई जाएगी।

ज्येष्ठ माह का धार्मिक महत्व

भगवत गीता में निहित है कि इस महीने में व्यक्ति को एक बार ही भोजन करना चाहिए। इससे धन और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। ज्येष्ठ महीने में जप, तप और दान का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने में लोगों को पानी पिलाने से तीर्थयात्राओं के समतुल्य फल की प्राप्ति होती है।


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