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Jitiya Fasting Vidhi: जानिए, पुत्र के दीर्घ आयु की कामना के लिए कैसे रखें जितिया व्रत

Jitiya Fasting Vidhi जितिया का व्रत सुहागिन महिलाएं पुत्र प्राप्ति और उनके स्वास्थ्य तथा दीर्ध आयु की कामना से रखती हैं। इस साल जितिया या जीवित्पुत्रिका का व्रत 29 सितंबर दिन बुधवार को पड़ेगा। आइए जानते हैं व्रत और पूजन की विधि....

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 04:32 PM (IST)Updated: Wed, 29 Sep 2021 07:45 AM (IST)
Jitiya Fasting Vidhi: जानिए, पुत्र के दीर्घ आयु की कामना के लिए कैसे रखें जितिया व्रत
जानिए, पुत्र की दीर्घ आयु की कामना के लिए कैसे रखें जितिया का व्रत

Jitiya Fasting Vidhi: अश्विन मास की कृष्ण अष्टमी तिथि को जितिया या जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा जाता है। जितिया का व्रत सुहागिन महिलाएं पुत्र प्राप्ति और उनके स्वास्थ्य तथा दीर्ध आयु की कामना से रखती हैं। मान्यता अनुसार जितिया का व्रत तीन दिन तक चलता है। व्रत की शुरूआत सप्तमी की तिथि से होती है तथा इसका पारण नवमी के दिन किया जाता है। अष्टमी की तिथि पर पूरे दिन निर्जल व्रत रखा जाता है। इस दिन जीमूतवाहन के पूजन का विधान है। इस साल जितिया या जीवित्पुत्रिका का व्रत 29 सितंबर, दिन बुधवार को पड़ेगा। आइए जानते हैं व्रत और पूजन की विधि....

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जितिया व्रत की विधि

जितिया व्रत की शुरूआत नहाय-खाए से होती है जो कि सप्तमी की तिथि को किया जाता है। इस साल 28 सितंबर व्रती महिलाएं बिना लहसुन प्याज के सेंधा नमक से बना पकवान खा कर व्रत की शुरूआत करती है। अगले दिन अष्टमी की तिथि को पूरे दिन निर्जला व्रत रख कर प्रदोष काल में पूजन किया जाता है। इस साल ये तिथि 29 सितंबर को पड़ रही है। इसके बाद व्रत का पारण नवमी तिथि, 30 सितंबर को सुबह किया जाएगा। इस व्रत में नोनी का साग खाने का विशेष महत्व है।

जितिया की पूजन विधि

जितिया के दिन व्रत कथा के जीमूतवाहन की पूजा का विधान है। अष्टमी तिथि के दिन प्रदोष काल में तलाब के निकट कुशा से जीमूतवाहन की मूर्ति बनाई जाती है। साथ ही कथा के चील और मादा सियार की मूर्तियां भी गोबर से बनाते हैं। सबसे पहले जीमूतवाहन को धूप,दीप,फूल और अक्षत चढ़ाएं तथा चील और सियार को लाला सिंदूर से टीका लगाएं। इसके बाद व्रत कथा का पाठ करें और अतं में आरती की जाती है। इस दिन पूजन में पेड़ा, दूब, खड़ा चावल, 16 गांठ का धागा, इलाईची, पान-सुपारी और बांस के पत्ते भी चढ़ाए जाते हैं। जितिया के पूजन में सरसों का तेल और खली भी चढ़ाई जाती है, जिसे बुरी नजर दूर करने के लिए अगले दिन बच्चों के सिर पर लगाया जाता है।

डिस्क्लेमर

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''

 


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