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Happy Ganesh Chaturthi 2019: गणपति के जन्म का उत्सव है गणेश चतुर्थी, ऐसे हुआ था विनायक का जन्म

Happy Ganesh Chaturthi 2019 भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्मदिन गणेश चतुर्थी के नाम से मनाया जाता है।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 12:21 PM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 02:52 PM (IST)
Happy Ganesh Chaturthi 2019: गणपति के जन्म का उत्सव है गणेश चतुर्थी, ऐसे हुआ था विनायक का जन्म
Happy Ganesh Chaturthi 2019: गणपति के जन्म का उत्सव है गणेश चतुर्थी, ऐसे हुआ था विनायक का जन्म

Happy Ganesh Chaturthi 2019: भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्मदिन गणेश चतुर्थी के नाम से मनाया जाता है। इस दिन माता पार्वती के घर उनके छोटे पुत्र गणेश का आगमन हुआ था, इसकी खुशी में पूरे देश में 9 दिनों तक गणेशोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस दौरान भगवान गणेश के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन दिनों में पूजा करने से भगवान गणेश जल्द प्रसन्न होते हैं, भक्तों के सभी विध्न हर लेते हैं और उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं।

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गणेश चतुर्थी का महत्व

भविष्य पुराण के अनुसार शिवा, संज्ञा और सुधा यह तीन चतुर्थी होती है, जिसमें भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को संज्ञा कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इसमें स्नान और उपवास करने से 101 गुना फल प्राप्त होता है और सौभाग्य की वृद्धि होती है।

इसी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मध्यान्ह में भगवान गणेश का जन्म हुआ था, इसी कारण यह तिथि महक नाम से भी जानी जाती है। इस दिन भगवान गणपति की पूजा, उपासना व्रत, कीर्तन और जागरण आदि करना चाहिए।

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भगवान गणेश के जन्म की कथा

भगवान गणेश के जन्म के बारे में शिवपुराण में एक कथा है। कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती अपने शरीर पर हल्दी और उबटन लगाए हुई थीं। जब उन्होंने अपने शरीर से हल्दी और उबटन को हटाया तो उससे छोटा सा एक पुतला बनाया। फिर उन्होंने अपने तपोबल से उस पुतले में प्राण डाल दिए। इस तरह से बाल गणेश का जन्म हुआ। जन्म के पश्चात माता पार्वती स्नान करने चली गईं और बाल गणेश को द्वार पर बैठा दिया, साथ ही बोला कि किसी को अंदर न आने देना।

इसी बीच भगवान शिव वहां पहुंचे। वे अंदर आना चाहते थे, लेकिन बाल गणेश ने उनका रास्ता रोक लिया। भगवान शिव के बार-बार कहने पर भी उनको अंदर आने नहीं दिया। तब क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से बाल गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। इसी बीच माता पार्वती वहां पहुंची। वह बाल गणेश की हालत देखकर रो पड़ी और भगवान शिव से बोलीं कि आपने ये क्या कर दिया। यह आपका पुत्र गणेश है। यह सुनकर शिव जी स्तब्ध रह गए। फिर पार्वती जी ने गणेश के जन्म की बात बताई। तब भगवान शिव ने एक हाथी का सिर बाल गणेश के धड़ पर लगाया और उसमें प्राण डाले। ऐसे बाल गणेश दोबारा जीवित हुए और वे गजानन कहलाए।


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