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24 जून से शुरू हो रही गुप्‍त नवरात्रि, यह है पूजन विधि

आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी के बीच के काल को गुप्त नवरात्रि कहा गया है। आश्विन और चैत्र के बीच माघ शुक्ल प्रतिपदा भी गुप्त नवरात्रि होती है।

By abhishek.tiwariEdited By: Published: Tue, 20 Jun 2017 12:58 PM (IST)Updated: Tue, 20 Jun 2017 12:58 PM (IST)
24 जून से शुरू हो रही गुप्‍त नवरात्रि, यह है पूजन विधि
24 जून से शुरू हो रही गुप्‍त नवरात्रि, यह है पूजन विधि

गुप्‍त सिद्धियां पाने का समय

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गुप्त नवरात्रि विशेष तौर पर गुप्त सिद्धियां पाने का समय रहता है। इस वर्ष गुप्त नवरात्रि 24 जून से शुरु हो रही है। देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं। हिन्दू धर्म में नवरात्रि मां दुर्गा की साधना के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। नवरात्र के दौरान साधक विभिन्न तंत्र विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करते हैं। इस नवरात्रि के बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होती है।

ऐसे कीजिए कलश स्‍थापना

एक चौकी पर मिट्टी का कलश पानी भरकर मंत्रोच्चार सहित रखा जाता है। मिट्टी के दो बड़े कटोरों में मिट्टी भरकर उसमे गेहूं-जौ के दाने बो कर ज्वारे उगाए जाते हैं और उसको प्रतिदिन जल से सींचा जाता है। दशमी के दिन देवी-प्रतिमा व ज्वारों का विसर्जन कर दिया जाता है।

महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की मूर्तियां बनाकर उनकी नित्य विधि सहित पूजा करें और पुष्पों को अर्ध्य दें। इन नौ दिनों में जो कुछ दान आदि दिया जाता है उसका करोड़ों गुना मिलता है। नवरात्रि व्रत से अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है। कन्या पूजन -नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है। अष्टमी के दिन कन्या-पूजन का महत्व है जिसमें 5, 7,9 या 11 कन्याओं को पूज कर भोजन कराया जाता है।

गुप्त नवरात्रि पूजा विधि

मान्यतानुसार गुप्त नवरात्रि के दौरान अन्य नवरात्रि की तरह ही पूजा करनी चाहिए। नौ दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्रि व्रत का उद्यापन करना चाहिए।


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