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Govardhan Puja 2019 Muhurat: इस शुभ मुहूर्त में करें गोवर्धन पूजा, जानें क्या है पूजा की सही विधि

Govardhan Puja 2019 Muhurat and Vidhi आज गोवर्धन पूजा है। यह हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को होता है।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 11:47 AM (IST)Updated: Mon, 28 Oct 2019 10:18 AM (IST)
Govardhan Puja 2019 Muhurat: इस शुभ मुहूर्त में करें गोवर्धन पूजा, जानें क्या है पूजा की सही विधि
Govardhan Puja 2019 Muhurat: इस शुभ मुहूर्त में करें गोवर्धन पूजा, जानें क्या है पूजा की सही विधि

Govardhan Puja 2019 Muhurat and Vidhi: आज गोवर्धन पूजा है। यह हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को होता है। इस दिन गोवर्धन और गौ माता की विशेष पूजा की जाती है, जिसका अपना एक खास महत्व है। इस पर्व को भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा, गोकुल और वृंदावन में खास तौर पर मनाया जाता है। हालां​कि उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में भी इसे मनाते हैं।

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गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त

प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ: 28 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 08 मिनट से।

प्रतिपदा तिथि का समापन: 29 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 13 मिनट तक।

सायंकाल पूजा का समय

28 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 26 मिनट से शाम को 05 बजकर 40 मिनट तक।

गोवर्धन पूजा की विधि

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को सुबह मकान के द्वारदेश में गौ के गोबर का गोवर्धन बनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, गाय के गोबर से बने गोवर्धन के शिखर प्रयुक्त, वृक्ष-शाखादि से संयुक्त और पुष्पादि से सुशोभित करने का विधान है।

अनके स्थानों पर गोवर्धन को मनुष्य के आकार का बनाया जाता है और उसे फूल आदि से सजाया जाता है। उसे गंध, पुष्प आदि से पूजा करे नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण कर प्रार्थना करें।

गोवर्धन धराधार गोकुलत्राणकारक।

विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रदो भव।।

इसके पश्चात भूषणीय गौओं का आवाहन करके उनका यथा-विधि पूजन करें और

'लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता।

घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु।।'

मंत्र से प्रार्थना करके रात्रि में गौ से गोवर्धन का उपमर्दन कराएं।

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गोवर्धन पूजा की ​कथा

मूसलाधार बारिश से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाए रखा। इससे इंद्र क्रोधित हो उठे, बारिश और तेज कर दी। उस गोवर्धन के नीचे सभी ब्रजवासी सुरक्षित थे। श्रीकृष्ण ने सातवें दिन पर्वत को नीचे रखा और गोवर्धन पूजा के साथ अन्नकूट मनाने को कहा। तब से दिवाली के अगले दिन यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा और अन्नूकट मनाया जाने लगा।

— ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र


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