Ganesh Chaturthi 2022: कब मनाया जाएगा गणपति बप्पा के आगमन का पर्व? जानें गणेश चतुर्थी की तिथि और मुहूर्त
Ganesh Chaturthi 2022 पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणपतिजी जन्म हुआ था। इसी कारण इसे गणेश जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। जानिए गणेश चतुर्थी की तिथि और शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली, Ganesh Chaturthi 2022: देशभर में गणेश उत्सव की तैयारी जोरों-शोरों से चल रही है। दस दिन तक चलने वाला ये त्योहार बहबुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान भक्तगण गणपति बप्पा को विदिवत पूजा करने के साथ घर में स्थापित करते हैं।
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। गणपति चतुर्थी का पर्व महाराष्ट्र सहित देश के कई हिस्सों में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन से अगले 9 दिनों तक घर या फिर पंडालों में गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित करके विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। हालांकि कई लोग 9 दिनों से कम दिन के लिए भी मूर्ति स्थापित करते हैं और फिर विधिवत तरीके से बप्पा को विसर्जित कर देते हैं। जानिए गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और महत्व।
गणेश चतुर्थी की तिथि
इस साल गणेश चतुर्थी का पर्व 31 अगस्त, बुधवार के दिन मनाया जाता है। इस दिन बुधवार पड़ने के कारण इसका महत्व और भी अधिक बढ़ गया है।
गणेश चतुर्थी 2022 शुभ मुहूर्त
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि आरंभ - 30 अगस्त, दोपहर 3 बजकर 34 मिनट से
भाद्रपद के शुक्ल की चतुर्थी तिथि का समापन - 31 अगस्त, दोपहर 3 बजकर 23 मिनट पर
मध्याह्न गणेश पूजा का समय - सुबह 11 बजकर 12 मिनट से दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक
चंद्र दर्शन से बचने का समय- सुबह 9 बजकर 29 मिनट से रात 9 बजकर 21मिनट तक
गणेश चतुर्थी पर करें इस गणेश मंत्र का जाप
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन की है मनाही
शास्त्रों के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं किए जाते हैं। यह अशुभ माना जाता है। क्योंकि इसी दिन भगवान गणेश ने चंद्र देव (चंद्रमा) को शाप दिया था कि उन्हें इस दिन कोई नहीं देखेगा।
गणेश चतुर्थी मनाने के कारण
पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेशजी को देवी पार्वती ने चंदन के लेप से बनाया था जिसका उपयोग उन्होंने अपने स्नान के लिए किया था। शक्ति के देवता होने के कारण, उन्होंने इतनी शक्ति से गणेश को जगाया कि युद्ध में बड़े से बड़े देवता भी उनका सामना नहीं कर सके। देवताओं के बीच ऐसे युद्ध के दौरान, भगवान शिव ने गलती से गणेश का सिर काट दिया जिससे पार्वती का क्रोध भड़क उठा। अपनी पत्नी को संतुष्ट करने के लिए, भगवान शिव ने अन्य देवताओं के साथ गणेश की सूंड पर एक हाथी के बच्चे का सिर तय किया। इसलिए हाथी के सिर वाले भगवान गणेश की रचना की गई। गणेश चतुर्थी के इस शुभ दिन पर, भगवान शिव ने घोषणा की कि गणेश ही एकमात्र ऐसे देवता होंगे जिनकी पूजा किसी अन्य भगवान से पहले की जाएगी। उन्हें हमेशा ज्ञान, ज्ञान और शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता था।
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