16 दिसंबर से 15 जनवरी तक रहेगा खरमास, नहीं होंगे कोई शुभ कार्य
चातुर्मास के दौरान चार माह से बंद पड़े विवाह संस्कार देवउठनी एकादशी के बाद शुरू हुए हैं, लेकिन नवंबर में मात्र दो मुहूर्त 26 व 27 नवंबर को थे, जिसमें काफी शादियां हुईं और अब दिसंबर में भी मात्र छह मुहूर्तों में फेरे लिए जा सकेंगे और उसके बाद फिर
चातुर्मास के दौरान चार माह से बंद पड़े विवाह संस्कार देवउठनी एकादशी के बाद शुरू हुए हैं, लेकिन नवंबर में मात्र दो मुहूर्त 26 व 27 नवंबर को थे, जिसमें काफी शादियां हुईं और अब दिसंबर में भी मात्र छह मुहूर्तों में फेरे लिए जा सकेंगे और उसके बाद फिर धनुर्मास (मलमास) शुरू हो जाने से विवाह संस्कारों पर एक माह के लिए रोक लग जाएगी। साथ ही अनेक शुभ संस्कार जैसे जनेऊ संस्कार, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश भी नहीं किया जाएगा।
दिसंबर के छह मुहूर्त में यदि ब्याह संस्कार नहीं किए गए तो खरमास के कारण एक माह तक फिर इंतजार करना पड़ेगा। 16 दिसंबर से खरमास (धनुर्मास) लग जाएगा जो 15 जनवरी तक रहेगा। इस अवधि में सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने के कारण विवाह जैसे शुभ संस्कार संपन्न नहीं किए जा सकेंगे। मकर संक्रांति के बाद जब सूर्य उत्तरायण की स्थिति में आएगा तब तिल, गुड़ का दान करने के बाद पुनःशुभ संस्कार शुरू होंगे।
सूर्य के मलीन होने से नहीं होते शुभ कार्य
खरमास में सूर्य जो है वह धनु राशि में प्रवेश करेगा और मकर संक्रांति तक इसी स्थिति में रहेगा। मान्यता है कि सूर्य जब धनु राशि में विद्यमान होता है तो इस दौरान मांगलिक कार्य शुभ नहीं माने जाते। इस दौरान सूर्य मलीन हो जाता है। चूंकि विवाह के लिए सूर्य एक महत्वपूर्ण कारक ग्रह है इसलिए धनुर्मास में विवाह पर रोक रहेगी।
दिसंबर में छह मुहूर्त
नवंबर के दो मुहूर्त के बाद अब दिसंबर में 4, 7, 8, 12, 13 व 14 दिसंबर को फेरे लिए जा सकेंगे। इसके बाद फिर जनवरी में 15, 21, 28 व 29, फरवरी में 4, 17, 24 और संवत्सर 2072 के आखिरी महीने मार्च (फाल्गुन) में मात्र दो मुहूर्त 5 व 10 मार्च ही है।