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Dussehra 2020: दशहरा को करें इस देवी की आराधना, नहीं तो अधूरी मानी जाती है नवरात्रि की पूजा

Dussehra 2020 विजय का पर्व दशहरा इस वर्ष 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दशहरा वाले दिन भी देवी की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कि विजयादशमी के दिन किस देवी की पूजा की जाती है और उनके किस मंत्र का जाप किया जाता है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 12:30 PM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2020 07:52 AM (IST)
Dussehra 2020: दशहरा को करें इस देवी की आराधना, नहीं तो अधूरी मानी जाती है नवरात्रि की पूजा
विजय का पर्व दशहरा इस वर्ष 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

Dussehra 2020: बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व दशहरा इस वर्ष 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा। शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 17 अक्टूबर से हो रहा है। इसके 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 अवतारों की पूजा की जाएगी। विजयादशमी के दिन दुर्गा पूजा के लिए रखी गई दुर्गा प्रतिमाओं का विजर्सन किया जाएगा। हालांकि कई जगहों पर कन्या पूजन के बाद पारण कर व्रत को लोग पूर्ण कर देते हैं। लेकिन दशहरा वाले दिन भी देवी की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कि विजयादशमी के दिन किस देवी की पूजा की जाती है और उनके किस मंत्र का जाप किया जाता है।

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कहा जाता है कि लंका विजय से पूर्व भगवान श्री राम ने अपराजिता देवी की पूजा की थी। इस पूजन का उद्देश्य सभी दिशाओं में विजय प्राप्ति से था। अपराजिता देवी के नाम से ही ज्ञात होता है कि य​​ह वे देवी हैं, जिनको कोई पराजित नहीं कर सकता है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को विजय मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

दशहरा वाले दिन, जिसे दुर्गा विसर्जन का दिन भी कहा जाता है, अपराजिता देवी की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। रावण वध के उपलक्ष्य में दशहरा मनाया जाता है। कई स्थानों पर भगवान राम की शक्ति पूजा को ध्यान में रखकर अपराजिता देवी की आराधना की जाती है। ऐसी मान्यता है ​कि अपराजिता देवी की आराधना के बिना नवरात्रि की पूजा रह जाती है।  

अपराजिता देवी की पूजा एवं मंत्र

विजयादशमी के दिन भगवान राम की पूजा करने से पूर्व ही अपराजिता देवी की पूजा कर लेनी चाहिए, इसके लिए अपराह्न का समय उत्तम माना जाता है। पूजा के समय देवी सूक्तम का पाठ अवश्य करें। इसके बाद ओम अपराजितायै नम: मंत्र का जाप कम से कम 11 बार कर सकते हैं। इस आप देवी कवच और अर्गला स्तोत्र का पाठ भी करें तो उत्तम है।

अपराह्न पूजा मुहूर्त:

दोपहर 13:12 बजे से दोपहर 15:27 बजे के मध्य।

कुल समय: 02 घण्टा 15 मिनट

दशमी तिथि का प्रारम्भ: 25 अक्टूबर 2020 को सुबह 07:41 बजे से।

दशमी तिथि का समापन: 26 अक्टूबर 2020 को सुबह 09:00 बजे।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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