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Dhanteras 2018: सोमवार से शुरू दीवाली का पांच दिवसीय महोत्सव, जाने क्या है इसका महत्व

धनतेरस से दीपावली का पांच दिवसीय दीप महोत्सव शुरू हो जाता है। पंडित दीपक पांडे से जाने इस पर्व का अर्थ आैर महत्व।

By Molly SethEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 01:44 PM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 10:47 PM (IST)
Dhanteras 2018: सोमवार से शुरू दीवाली का पांच दिवसीय महोत्सव, जाने क्या है इसका महत्व
Dhanteras 2018: सोमवार से शुरू दीवाली का पांच दिवसीय महोत्सव, जाने क्या है इसका महत्व

क्या होता है धनतेरस 

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दीपावली के त्यौहार की धूम धनतेरस से ही शुरू हो जाती है। धनतेरस से पंच महोत्सव का आरंभ हो जाता है। कोई भी खरीदारी करने का यह सबसे शुभ समय होता है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस के नाम से जाना जाता है जो कि इस वर्ष 5 नवंबर 2018 सोमवार को पड़ रहा है।  इसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान इसी दिन भगवान धनवन्तरि कलश में अमृत लेकर प्रकट हुए थे। इसी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस दिन नये बर्तन और स्वर्ण-चांदी के आभूषण खरीदे जाते है इस दिन आभूषण व बर्तन की खरीददारी से धन में 13 गुना वृद्वि होती है। इस दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है।

जानें इस पर्व का महत्व 

इस दिन किसी भी प्रकार का उधार व्यापार नहीं होता है। ऐसा करने पर साल भर धन की देवी लक्ष्मी रुठ जाती है और व्यापार में वृद्वि नहीं होती है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन उधार व्यापार करने से साल भर उधार का कारोबार ही फलता-फूलता है। अंक शास्त्र में उल्लेख है कि धनत्रयोदशी पर नया बर्तन लाने से सौभाग्य एवं समृद्धि की वृद्धि होती है। इस बार सोमवार को पड़ रही धनतेरस अत्यंतशुभ है, अगर इस दिन से धन एकत्र करना शुरू करते हैं तो जिनका अपना घर नहीं है वह आगामी वर्षों तक तक अपना घर बना सकते हैं। सोमवार को पड़ने वाली धनतेरस पर मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा अर्चना करने से धन एवं संपदा की प्राप्ति होती है। धनतेरस के दिन ही यमराज का भी पूजन किया जाता है। पूरे वर्ष में एक मात्र यही दिन है जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। यह पूजा दिन में नहीं रात में की जाती है। इसके लिए रात्रि में यम के निमित्त एक दीपक प्रज्वलित करना चाहिए। आटे का दीपक जलाकर के घर के मुख्य द्वार पर रखें और उनकी पूजा करें ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार में अकाल मृत्यु का साया नहीं रहता है। 

इसलिए मनाते हैं धनतेरस

एेसी भी मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीददारी करने से दरिद्रता दूर होती है मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है दीपक जलाने से खरीदी हुई वस्तु की बढ़ोतरी होती है संयुक्त परिवार में खरीद कर लाई गई नवीन वस्तु एकता और खुशहाली प्रदान करती है। धनतेरस के दिन किया गया निवेश भविष्य में लाभदाई होता है। यह समुद्र मंथन में निकले 14 रत्नों में से एक धन्वंतरी का भी दिन है आैर स्वास्थ्य, संतान, एवम् समृद्धि का भी प्रतीक पर्व है धनतेरस। धनतेरस धन के साथ साथ सेहत की समृद्धि के लिए भी मनाया जाता है। इस पर्व को धन्वंतरी जयंती के नाम से भी जाना जाता है कहा जाता है कि वे देवताओं के वैद्य थे। आयुर्वेद की परंपरा उनकी ही देन मानी जाती है इसीलिए धन लाभ के अनावा स्वास्थ्य लाभ के लिए धनतेरस की पूजा की जाती है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि धनतेरस पर किए गए निवेश का फल मिलता है। धनत्रयोदशी पर खरीदा गया सामान अक्षय होता है इसीलिए इस दिन खरीददारी की जाती है। 


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