Malmaas 2020 Puja: मलमास में भगवान विष्णु को तुलसी और भगवान शिव को चढ़ाएं बेलपत्र, होगा यह लाभ
Malmaas 2020 Puja पूरे मलमास में हरि अर्थात् विष्णु एवं हर अर्थात् शिव की आराधना-पूजा करने से मनोवांछित फल की अवश्य प्राप्ति होती है।
Malmaas 2020 Puja: सामान्यत: पितृ विसर्जन के दूसरे दिन से शारदीय नवरात्र का प्रारम्भ हो जाता है। किन्तु इस वर्ष ऐसा नहीं होगा। आश्विन अधिकमास (मलमास) पड़ने के कारण इस वर्ष पितृपक्ष समाप्त होने के एक महीने बाद शारदीय नवरात्र प्रारम्भ होगा। यह संयोग उन्नीस वर्ष बाद बना है। ज्ञात हो कि सन-2001 में भी आश्विन मास में ही मलमास (अधिकमास) के कारण पितृपक्ष के एक माह बाद नवरात्र प्रारम्भ हुआ था।
सामान्य रूप से सूर्य वर्ष 365 दिन, 6 घण्टे का होता है, जबकि चन्द्रवर्ष 354 दिनों का माना जाता है। इन दोनों वर्षों के बीच के अन्तर से प्रत्येक तीन वर्ष में एक माह अतिरिक्त होने के कारण उसे मलमास अथवा अधिकमास कहा जाता है। यह सम्पूर्ण महीना श्री हरि पुरुषोत्तम भगवान को समर्पित रहता है। लोगों में यह भ्रान्ति होती है कि यह किसी भी कार्य के लिए त्याज्य महीना है, जबकि ऐसा शास्त्रीय उल्लेख प्राप्त नहीं है। बल्कि इस माह में भगवान पुरुषोत्तम की कृपा से प्रत्येक किए गए कार्य सफल होते हैं।
मलमास में हरिहर की पूजा
पूरे पुरुषोत्तम महीने में हरि अर्थात् विष्णु एवं हर अर्थात् शिव की आराधना-पूजा करने से मनोवांछित फल की अवश्य प्राप्ति होती है। ज्योतिष-विज्ञान में काल-गणना इस मास की उपज का कारण है। बहू-बेटियों की विदाई या विवाह आदि का कार्य नहीं करना चाहिए।चूँकि इस पूरे माह में सूर्य-संक्रान्ति नहीं होने के कारण ही इसे मलमास या म्लेच्छमास कहा जाता है। इस पुरुषोत्तम माह का प्रारम्भ 18 सितम्बर से हुआ है, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। तत्पश्चात् 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र प्रारम्भ होगा।
बेलपत्र और तुलसी अर्पित करने का मंत्र
शास्त्र में इस माह में वस्तुओं के ख़रीद-फ़रोक्त्त या नवीन वस्त्रादि धारण करने में क़ोई भी दोष नहीं कहा गया है। इस पुरुषोत्तम माह में भगवान विष्णु को नित्य तुलसी इस मन्त्र से चढ़ाएं-“शुक्लाम्बर धरम देव शशिवर्णम चतुर्भुजम। प्रसन्न वदनम ध्यायेत सर्व विघ्न शान्तये ।।” इसी प्रकार भगवान शिव को बेलपत्र पर राम-राम लिखकर चढ़ाना अतिफलदायक होता है। भगवान शिव को बेलपत्र इस मन्त्र से चढ़ाना लाभप्रद होता है-“ त्रिदलम त्रिगुणाकारम त्रिनेत्रम च त्रयायुधम। त्रिजन्मपापसंहारम बिल्वपत्रम शिवार्पणम।” ॐ नम:शिवाय।। इस महीने में काँसे या फूल के कटोरे अथवा किसी भी इसी धातु के पात्र में सत्ताईस मालपुआ दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
आहार-व्यवहार एवं आचार-विचार को संयमित-अनुशासित रखने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस सम्पूर्ण माह में सूर्य-संक्रान्ति नहीं होने के कारण ही इसे मलमास या म्लेच्छ मास की संज्ञा लोक-विख्यात है,जबकि शास्त्रीय विधान के अनुसार यह भगवान पुरुषोत्तम का प्रिय महीना होता है। अधिक एवं क्षय-मास का ज्योतिषीय कारण-जिस चांद्रमास में सूर्य-संक्रान्ति न हो वह अधिक मास होता है और चांद्रमास में सूर्य की दो संक्रान्ति हो जाय उसे न्यून अथवा क्षय मास कहा जाता है। चूँकि इस वर्ष आश्विन माह में कोई भी सूर्य-संक्रान्ति नहीं पड़ रही है इसी कारण से यह अधिक मास होगा। न्यून या क्षय मास मूलतः कार्तिक, मार्गशीर्ष तथा पौष इन्हीं महीनों में होता है।
शिव-विष्णु पूजा से ग्रह शांति
पूरे अधिक मास में प्रातः स्नान करके शिव-विष्णु का विधिवत पूजन करने से ग्रहों की शान्ति होती है।ब्राह्मण द्वारा रुद्राष्टाध्यायी के दूसरे-पाँचवे एवं शान्ति अध्याय का नित्य या ग्यारह दिन पाठ कराने से शनि की ढैया-साढ़ेसाती के साथ कोई भी ग्रह वक्री हो तो उसकी स्वतः शान्ति हो जाती है, साथ ही अप्राप्त लक्ष्मी भी प्राप्त हो जाती है।
- ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट