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Shani Dev: शनिवार के दिन करें ये 7 उपाय, शनिदेव बदल देंगे आपकी बिगड़ी किस्मत

Shani Dev शनि देव की पूजा करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त काल कष्ट दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अत श्रद्धा भाव से शनिदेव की पूजा करनी चाहिए।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Fri, 26 May 2023 09:52 AM (IST)Updated: Fri, 26 May 2023 09:52 AM (IST)
Shani Dev: शनिवार के दिन करें ये 7 उपाय, शनिदेव बदल देंगे आपकी बिगड़ी किस्मत
Shani Dev: शनिवार के दिन करें ये 7 उपाय, शनिदेव बदल देंगे आपकी बिगड़ी किस्मत

नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क। Shani Dev: सनातन धर्म में शनिवार का दिन न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित होता है। इस दिन विधि विधान से शनिदेव की पूजा-उपासना की जाती है। शनि देव की पूजा करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त काल, कष्ट, दुख और संकट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा,  साढ़े साती और शनि की ढैय्या का प्रभाव क्षीण होता है। अत: श्रद्धा भाव से शनिदेव की पूजा करनी चाहिए। शास्त्रों में शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कई विशेष उपाय भी बताए गए हैं। इन उपायों को करने से जातक को शनिदेव प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से जातक की बिगड़ी किस्मत भी बदल जाती है। आइए, इन उपायों को जानते हैं-  

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- शनिवार के दिन शनि बीज मंत्र "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः" का जाप करें। शनिदेव की विशेष कृपा पाने के लिए रोजाना शनि बीज मंत्र का जाप कर सकते हैं।

- न्याय के देवता शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे शनि की बाधा समाप्त होती है।

- अगर आप शनिदेव की कृपा पाना चाहते हैं, तो शनिवार के दिन शनि मंदिर में तिल के तेल का दीपक जलाएं। इससे शनिदेव प्रसन्न होकर व्यक्ति को मनोवांछित फल देते हैं।

- अगर आपके पास पर्याप्त समय है, तो शनिवार के दिन शनि मंदिर की जरूर यात्रा करें। मंदिर जाकर शनिदेव की पूजा करें। साथ ही सुख, समृद्धि और धन वृद्धि की कामना करें।

- शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ, शनि कथा का श्रवण और शनि मंत्र का जाप फलदायी होता है।

- अगर आपकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ है, तो शनिवार के दिन नीलम रत्न धारण कर सकते हैं। इससे साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव कम होता है।

- शनिवार के दिन निम्न मंत्र का जाप जरूर करें। इससे शनि दोष कम हो सकता है।

नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम ।।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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