Diwali Puja Vidhi: ऐसे करें दीपावली का पूजन, इस तरह सजाएं घर को
Diwali 2020 किसी के भी स्वागत में सबसे पहले घर का मुख्य द्वार सजाया जाता है। मां लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए आप भी अपने घर को मुख्य द्वार को अच्छे से सजाएं। आम के पत्तों को बहुत शुभ माना जाता है।
Diwali 2020: किसी के भी स्वागत में सबसे पहले घर का मुख्य द्वार सजाया जाता है। मां लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए आप भी अपने घर को मुख्य द्वार को अच्छे से सजाएं। आम के पत्तों को बहुत शुभ माना जाता है। हर पूजा-पाठ के कार्यों में आम के पत्तो का उपयोग करते हैं। इसलिए दीपावली पर आम के पत्तों और गेंदे के फूलों की तोरण से मुख्य द्वार को सजाएं। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि पूजा घर को सजाने में भी गेंदे के फूल और आम के पत्तों का प्रयोग अवश्य करें। वास्तु की दृष्टिसे भी आम के पत्ते शुभ माने जाते हैं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वास्तु के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर किसी प्रकार की बाधा शुभ नहीं मानी जाती है। जिन लोगों के द्वार पर कोई रुकावट होती है वहां पर धन और समृद्धि के आगमन में भी रुकावट आती है। दीपावली पर मां लक्ष्मी का हमारे घर में आगमन होता है इसलिए मुख्य द्वार पर अगर कोई भी ईंट पत्थर या अन्य कोई भारी सामान या रुकावट हो तो उसे तुरंत हटा दें। घर की देहली की किनारी आदि अगर टूटी हुई है तो उसे सही करवा लें।
स्वास्तिक का बनाएं चिह्न:
हमारे धर्म और वास्तु दोनों में ही स्वास्तिक के चिह्म को बहुत शुभ माना जाता है। धार्मिक या कोई भी शुभ और नया कार्य आरंभ करने से पहले स्वास्तिक का चिह्न अवश्य बनाते हैं। दीपावली पर अपने दरवाजे और दीवारों पर स्वास्तिक का चिह्न सिंदूर से बनाएं। इससे सकारात्मक ऊर्जा तो आती ही है साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।
उत्तर-पूर्व (ईशान) में करें पूजन:
सबसे पहले तो पूजन कक्ष साफ-सुथरा हो, उसकी दीवारें हल्के पीले, गुलाबी या हरे रंग की हों तो अच्छा है क्योंकि ये रंग सकारात्मक ऊर्जा के स्तर को बढ़ाते हैं। काले, नीले और भूरे जैसे तामसिक रंगों का प्रयोग पूजा कक्ष की दीवारों पर नहीं होना चाहिए। वास्तु विज्ञान के अनुसार मानसिक स्पष्टता और प्रज्ञा की दिशा उत्तर-पूर्व (ईशान) पूजा करने के लिए आदर्श स्थान है क्योंकि यह कोण पूर्व एवं उत्तर दिशा के शुभ प्रभावों से युक्त होता है। घर के इसी क्षेत्र में सत्व ऊर्जा का प्रभाव शत-प्रतिशत होता है।
उत्तर पूर्व दिशा में रखें पूजा की सामग्री:
पूजन करते समय मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। उत्तर दिशा चूंकि धन का क्षेत्र है इसलिए यह क्षेत्र यक्ष साधना (कुबेर), लक्ष्मी पूजन और गणेश पूजन के लिए आदर्श स्थान है। ध्यान रहे, दीपावली पूजन में मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां अथवा चित्र आदि छवियां नई हों। चांदी की मूर्तियों को साफ़ करके पुनः पूजा के काम में लिया जा सकता है। पूजा कलश व अन्य पूजन सामग्री जैसे खील-पताशा, सिन्दूर, गंगाजल, अक्षत-रोली, मोली, फल-मिठाई, पान-सुपारी, इलाइची आदि उत्तर-पूर्व में ही रखा जाना शुभ फलों में वृद्धि करेगा।
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