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Dhumavati Jayanti 2020: आज है धूमावती जयंती, जानें-व्रत कथा एवं इसके लाभ

Dhumavati Jayanti 2020 दस महाविद्यायों में एक विद्या की देवी माता धूमावती है। माता धूमावती की सवारी कौआ है। इनका स्वरूप कुरूप और श्याम वर्ण है।

By Umanath SinghEdited By: Published: Sat, 30 May 2020 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 07:49 AM (IST)
Dhumavati Jayanti 2020: आज है धूमावती जयंती, जानें-व्रत कथा एवं इसके लाभ
Dhumavati Jayanti 2020: आज है धूमावती जयंती, जानें-व्रत कथा एवं इसके लाभ

दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Dhumavati Jayanti 2020: आज धूमावती जयंती है। इस दिन माता सती के धूमावती स्वरूप की पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि स्त्रियों को माता धूमावती की पूजा नहीं करनी चाहिए। इससे उनमें एकाग्रता का भाव जागृत होती है, जो भौतिक जीवन के लिए सही नहीं होता है। इसे तंत्र साधना करने वाले साधक करते हैं। इस दिन माता धूमावती की पूजा उपासना करने से व्रती को यथाशीघ्र मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। 

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माता धूमावती का स्वरूप

दस महाविद्यायों में एक विद्या की देवी माता धूमावती है। माता धूमावती की सवारी कौआ है। इनका स्वरूप कुरूप और श्याम वर्ण है। जबकि माता अपने हाथ में सूप थामी है। इनके बाल खुले हैं और श्वेत वस्त्र धारण कर रखी है, जो अत्यंत डरावना है।

माता धूमावती कथा

 पौराणिक कथा के अनुसार,  माता धूमावती की उत्पत्ति को लेकर कई कथाएं हैं, जिनमें एक सबसे सार्थक है। जब राजा दक्ष ने एक बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया तो इस यज्ञ के लिए सदाशिव और माता सती को निमंत्रण नहीं दिया गया। इसके बाद माता सती बिना निमंत्रण के ही शिव जी के मना करने के बाद भी यज्ञ कार्यक्रम में शामिल होने पहुंच गई। इस यज्ञ में बड़े-बड़े ऋषि मुनि पहुंचे थे।

उस समय माता सती को मान सम्मान नहीं किया गया। इससे माता सती काफी दुखी हुई और उन्होंने यज्ञ कुंड में कूदकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। उस समय यज्ञ अग्नि कुंड से एक स्त्री की उत्पत्ति हुई, जिसे माता धूमावती के नाम से जाना जाता है। 

माता धूमावती पूजा विधि 

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत हो जाएं। इसके बाद माता सती के स्वरूप धूमावती की पूजा करें। अगर किसी प्रयोजन से आप इस पूजा को करते हैं तो रात्रि में ही इनकी पूजा करें। पूजा के समय निम्न मंत्र का जाप जरूर करें। ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा॥


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