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Dhanu Sankranti 2022: कब है धनु संक्रांति? यहां जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि

Dhanu Sankranti 2022 ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव जब किसी राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं उस क्रिया को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस दिन तर्पण व पवित्र स्नान करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है और उनके कष्टों का नाश होता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Published: Sun, 27 Nov 2022 12:42 PM (IST)Updated: Sun, 27 Nov 2022 12:42 PM (IST)
Dhanu Sankranti 2022: कब है धनु संक्रांति? यहां जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि
Dhanu Sankranti 2022: जानिए कब है धनु संक्रांति तिथि और शुभ मुहूर्त।

नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Dhanu Sankranti 2022 Date, Shubh Muhurat and Puja Vidhi: सनातन धर्म में संक्रांति तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु धर्म स्नान के लिए पवित्र नदियों के तट पर एकत्रित होते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन धनु संक्रांति है। देश के कई क्षेत्रों में संक्रांति को उत्सव के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि जब सूर्य देव किसी एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति के रूप में जाना जाता है। बता दें कि दक्षिण भारत में संक्रांति के दिन भगवान जगन्नाथ की विशेष पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कब है धनु संक्रांति, तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

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धनु संक्रांति 2022 तिथि (Dhanu Sankranti 2022 Date)

पौष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारम्भ: 16 दिसम्बर 2022, शुक्रवार प्रातः 01:39 से

अष्टमी तिथि समाप्त: 17 दिसम्बर 2022, सुबह 03:02 तक

धनु संक्रांति 2022 तिथि: 16 दिसम्बर 2022, शुक्रवार

धनु संक्रांति 2022 पूजा विधि (Dhanu Sankranit 2022 Puja Vidhi)

  • संक्रांति के दिन व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान के बाद सूर्य भगवान की विधि-विधान से पूजा करें। साथ ही उन्हें अर्घ्य जरूर दें।

  • इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। ऐसा अगर सम्भव नहीं है तो नहाते समय पानी में गंगाजल मिला लें।

  • संक्रांति के दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इसलिए इस दिन उन्हें गंध, पुष्प, धूप, दीप आदि अर्पित करें और इस बात का ध्यान रखें कि श्रीहरि की पूजा में तुलसी पत्र का प्रयोग जरूर हो।

  • भगवान विष्णु की पूजा के बाद माता लक्ष्मी, महादेव और ब्रह्मा जी की भी पूजा करें और आरती करें।

  • इसके बाद इस दिन भगवान सूर्य को मीठी भात का भोग लगाएं और उसके बाद परिवार के सदस्यों में इसे प्रसाद के रूप में बांट दें।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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