Move to Jagran APP

Dahi Handi 2019: आज मनाया जा रहा है दही-हांडी उत्सव, जानें कैसे हुई इसकी शुरुआत

Dahi Handi 2019 दही-हांडी उत्सव कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन मनाते हैं। इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 23-24 अगस्त को है इसलिए दही-हांडी उत्सव 25 अगस्त को मनाया जा रहा है।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Fri, 23 Aug 2019 03:23 PM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 09:38 AM (IST)
Dahi Handi 2019: आज मनाया जा रहा है दही-हांडी उत्सव, जानें कैसे हुई इसकी शुरुआत
Dahi Handi 2019: आज मनाया जा रहा है दही-हांडी उत्सव, जानें कैसे हुई इसकी शुरुआत

Dahi Handi 2019: दही-हांडी उत्सव मुख्यत: कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है। इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 23 और 24 अगस्त को मनाई जा रही है, इस कारण से दही-हांडी उत्सव 25 अगस्त दिन रविवार को मनाया जा रहा है। भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था, इसलिए हर वर्ष इस तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। वहीं, भगवान कृष्ण का बचपन गोकुल में नंद जी और माता यशोदा के यहां बीता था, इसलिए हर वर्ष उनकी बाल लीलाओं की स्मृति में दही-हांडी उत्सव का आयोजन किया जाता है।

loksabha election banner

दही-हांडी उत्सव

दही-हांडी उत्सव मुख्यत: महाराष्ट्र और गुजरात में मनाया जाता है लेकिन यह देश के कुछ और हिस्सों में भी इसका आयोजन किया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण के धरती पर जन्म लेने की खुशी में चौराहों पर दही और मक्खन से भरी मटकियां या हांडी लटकाई जाती हैं।

बच्चे और युवा गोविंदा बनकर इस उत्सव में शामिल होते हैं। गोविंदा की अलग-अलग टीम इन मटकियों को फोड़ने का प्रयास करती हैं, जो इसमें सफल होता है उसे पुरस्कार आदि भी दिया जाता है।

दही-हांडी का इतिहास

भगवान कृष्ण का बचपन गोकुल और वृंदावन में बाल लीलाएं करते हुए गुजरा था। बाल्यावस्था में श्रीकृष्ण जी को दही और माखन बहुत प्रिय था, अक्सर वे गोपियों के घर से माखन चुराकर खा लिया करते थे। माखन के लिए वे यशोदा मैय्या को भी परेशान करते थे। कई बार वे माखन चुराने के चक्कर में हांडी फोट देते थे। वे अपने घर के ही नहीं, गोपियों के भी उन मटकियों को फोड़ देते थे, जिनमें माखन रखा होता था।

बाल गोपाल से परेशान होकर माता यशोदा और गोपियां माखन की मटकियों को रस्सी के सहारे ऊपर बांध देती थीं, ताकि वह बाल कृष्ण की पहुंच से दूर रहें। लेकिन श्रीकृष्ण कहां मानने वाले थे, वे अपने दोस्तों के साथ मिलकर दही और मखन चुरा लेते थे। इस दौरान मटकियां टूट जातीं तो गोपियां माता यशोदा से बाल गोपाल की शिकायत करतीं। भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं की स्मृति में हर वर्ष दही-हांडी उत्सव का आयोजन होता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.