Chaitra Navratri 2023 Day 5: आज है चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन, इस विधि से करें देवी स्कंदमाता की उपासना
Chaitra Navratri 2023 हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मां भगवती के पांचवे प्रमुख स्वरूप देवी स्कंदमाता की पूजा का विधान है। इस दिन शुभ मुहूर्त में देवी की आराधना करने से व्यक्ति को विशेष लाभ होता है।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chaitra Navratri 2023 Day 5, Devi Skandmata Puja Vidhi and Mantra: हिन्दू पंचांग के अनुसार आज चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। आज के दिन देवी स्कंदमाता की विधवत पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि पंचमी तिथि के दिन देवी स्कंदमाता की पूजा करने से सभी कष्ट और दुःख दूर हो जाते है।
भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंद कुमार भी है। इसलिए शास्त्रों में देवी के स्वरूप का वर्णन करते हुए बताया गया है कि हर समय भगवान स्कंद बालरूप में उनकी गोद में विराजमान रहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन देवी स्कंदमाता की उपासना करने से निःसंतान दंपत्ति को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है और उनकी सभी कामना पूर्ण हो जाती है। आइए जानते हैं स्कंदमाता देवी की पूजा विधि, मंत्र और मुहूर्त।
चैत्र नवरात्रि देवी स्कंदमाता पूजा शुभ मुहूर्त (Chaitra Navratri 2023 Skandmata Puja Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि का शुभारंभ 25 मार्च को दोपहर 02 बजकर 53 मिनट पर हो रहा है और इस तिथि का समापन अगले दिन दोपहर 03 बजकर 02 मिनट पर होगा। इस दिन रवि योग दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से 27 मार्च को सुबह 06 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। धार्मिक मान्यता है कि इस योग में पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है।
देवी स्कंदमाता पूजा विधि (Skandmata Puja Vidhi)
शास्त्रों के अनुसार देवी स्कंदमाता की पूजा के समय साधक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान करें और साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद सर्वप्रथम भगवान गणेश की उपासना करें और फिर देवी दुर्गा का ध्यान करते हुए स्कंदमाता की प्रतिमा पर गंगाजल अर्पित करें। ऐसा करने के बाद देवी को गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि अर्पित करें और उन्हें केले का भोग अवश्य चढ़ाएं।
देवी स्कंदमाता का स्वरूप (Devi Skandmata Swaroop)
देवी पुराण में बताया गया है स्कंदमाता देवी की चार भुजाएं हैं और इनका वाहन सिंह है। उनके दाएं बुझाओं में स्कंद अर्थात कार्तिकेय हैं और कमल का पुष्प है। वहीं बाएं भुजा में वरदमुद्रा और एक कमल का पुष्प है। इनका आसन कमल है, इसलिए इन्हें पद्मासन भी कहा जाता है।
चैत्र नवरात्रि देवी स्कंदमाता मंत्र (Chaitra Navratri 2023 Skandmata Puja Mantra)
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः।।
प्रार्थना मंत्र-
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
स्तुति- या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
देवी स्कंदमाता कवच पाठ
ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मधरापरा।
हृदयम् पातु सा देवी कार्तिकेययुता।।
श्री ह्रीं हुं ऐं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा।
सर्वाङ्ग में सदा पातु स्कन्दमाता पुत्रप्रदा।।
वाणवाणामृते हुं फट् बीज समन्विता।
उत्तरस्या तथाग्ने च वारुणे नैॠतेअवतु।।
इन्द्राणी भैरवी चैवासिताङ्गी च संहारिणी।
सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै।।
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