Move to Jagran APP

Budhwa Mangal 2022: आज से शुरू ज्येष्ठ मास का बुढ़वा मंगल, जानिए तिथियां, पूजा विधि और महत्व

Budhwa Mangal 2022 हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले हर मंगलवार को बुढ़वा मंगल के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान हनुमान की विधि-विधान से पूजा करने के साथ व्रत रखा जाता है। जानिए बुढ़वा मंगल की तिथि पूजा विधि और महत्व।

By Shivani SinghEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 05:00 AM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 08:48 AM (IST)
Budhwa Mangal 2022: आज से शुरू ज्येष्ठ मास का बुढ़वा मंगल, जानिए तिथियां, पूजा विधि और महत्व
Budhwa Mangal 2022: बुढ़वा मंगल की तिथि और पूजा विधि

नई दिल्ली, Budhwa Mangal 2022: हिंदू नववर्ष का तीसरा माह ज्येष्ठ मास 17 मई से शुरू हो रहा है। हिंदू धर्म में इस मास का काफी अधिक महत्व है। क्योंकि इस माह भगवान हनुमान की विधि-विधान से पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले हर मंगलवार को बुढ़वा मंगल या बड़ा मंगल के नाम से जाता है। इस पर्व में श्री राम के परमभक्त भगवान हनुमान की पूजा अर्चना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान हनुमान पहली बार वन में विचरण करते हुए अपने प्रभु श्री राम से मिले थे। वहीं दूसरी कथा के अनुसार, महाभारत काल में जब भीम को अपने बल का घमंड हो गया था, तो उस समय भगवान हनुमान जी ने एक बूढ़े वानर का रूप रखकर भीम को परास्त किया था, जिससे भीम का घमंड टूट गया था। इसलिए इस दिन को बड़ा मंगल के रूप में मनाया जाता है। जानिए बुढ़वा मंगल की तिथियां, पूजा विधि और महत्व।

prime article banner

कब-कब पड़ रहे हैं बुढ़वा मंगल

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास 17 मई से शुरू हो रहा है और समापन 14 जून को हो रहा है। इस मास की शुरुआत मंगलवार से रही है और अंत भी मंगलवार से हो रहा है। ज्येष्ठ मास में पूरे पांच मंगलवार पड़ रहे है। जानिए बुढ़वा मंगल की सभी तिथियां।

  • 17 मई
  • 24 मई
  • 31 मई
  • 7 जून
  • 14 जून

बुढ़वा मंगल की पूजा विधि

बड़े मंगल के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। साफ सुथरे और सुखे वस्त्र धारण कर लें। आप चाहे तो लाल रंग के कपड़े पहन लें। इसके बाद भगवान हनुमान को लाल रंग के फूल, सिंदर, अक्षत चढ़ाने के साथ भोग में गुड़-चने की दाल, बूंदी के लड्डू चढ़ा दें। इसके बाद जल अर्पित कर दें। अंत में घी का दीपक, धूप जलाकर हनुमान चालीसा, बजरंग बाण का पाठ कर लें। अंत में विधिवत तरीके से आरती कर लें। ऐसे ही हर बड़े मंगल के दौरान पूजा करें।

बुढ़वा मंगल के दौरान किसी हनुमान मंदिर में जाकर भगवान को सिंदूर और चमेली का तेल मिलाकर बनाया गया लेप जरूर लगाएं। इससे वह जल्द प्रसन्न होते हैं।

बुढ़वा मंगल का धार्मिक महत्व

बुढ़वा मंगल के दौरान पवनपुत्र हनुमान की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि पूजा पाठ करने और व्रत रखने से भगवान हनुमान हर संकट को हर लेते हैं। प्रेत बाधा, किसी तरह का भय सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। बुढ़वा मंगल के दौरान हनुमान चालीसा के साथ बजरंग बाण का अवश्य पाठ करें। इससे घर से नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकल जाएगी और सुख-समृद्धि का वास होगा।

Pic Credit- Instagram/jyotishvyas4u

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.