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Budh Pradosh Vrat Significance: प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को प्राप्त होता है पुण्य, जानें महत्व और शुभ मुहूर्त

Budh Pradosh Vrat Significance हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। इस दिन स्वयंभू शिव शंकर और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। आज बुधवार है और आज त्रयोदशी तिथि है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 06:30 AM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 06:30 AM (IST)
Budh Pradosh Vrat Significance: प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को प्राप्त होता है पुण्य, जानें महत्व और शुभ मुहूर्त
Budh Pradosh Vrat Significance: प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को प्राप्त होता है पुण्य, जानें महत्व और शुभ मुहूर्त

Budh Pradosh Vrat Significance: हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। इस दिन स्वयंभू शिव शंकर और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत करता है तो उस पर शिव जी की कृपा प्राप्त होती है। आज बुधवार है और आज त्रयोदशी तिथि है। आज प्रदोष व्रत भी है। ऐसे में इस व्रत को बुध प्रदोष व्रत भी कहा जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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बुध प्रदोष व्रत का महत्व:

हर व्रत का फल अलग होता है। प्रदोष व्रत व्यक्ति की अलग-अलग कामनाओं की पूर्ति के साथ किया जाता है। इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को सुख सौभाग्य और धन लाभ मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जो व्यक्ति प्रदोष व्रत करता है उस पर शिव शंकर की कृपा हमेशा बनी रहती है। शिव जी व्यक्ति की हर परेशानी का हर लेते हैं। मान्यता है कि प्रदोष के समय शिवजी प्रसन्नचित मनोदशा में होते हैं। ऐसे में यह समय शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। बुधवार के दिन प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की हर कामना की सिद्ध होती है। प्रदोष व्रत व्यक्ति को निर्जला रखना चाहिए। शिव जी की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को पुण्य प्राप्त होता है। व्यक्ति सभी दोषों से मुक्त हो जाता है और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों में कहा गया है कि दो गाय के दान के बराबर का पुण्य एक प्रदोष व्रत करने से मिलता है।

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त:

आश्विन, शुक्ल त्रयोदशी

प्रारम्भ- 28 अक्टूबर, बुधवार दोपहर 12 बजकर 54 मिनट से

समाप्त- 29 अक्टूबर, गुरुवार दोपहर 3 बजकर 15 मिनट तक

प्रदोष व्रत:

शाम 05 बजकर 39 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 13 मिनट तक

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। ' 


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