Bhaum Pradosh Vrat Katha: आज भौम प्रदोष व्रत के दिन पढ़ें यह कथा, आप पर होगी भगवान शिव और हनुमान जी की कृपा
Bhaum Pradosh Vrat Katha भौम प्रदोष व्रत आज 26 जनवरी 2021 दिन मंगलवार को है। जो व्रत रखते हैं वे प्रदोष काल में विधि विधान से पूजा करते हैं और भौम प्रदोष व्रत की कथा सुनते या पढ़ते हैं। आइए जानते हैं भौम प्रदोष व्रत की कथा के बारे में।
Bhaum Pradosh Vrat Katha: इस बार भौम प्रदोष व्रत आज 26 जनवरी 2021 दिन मंगलवार को है। हिन्दी पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत हमेशा हर मास के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होता है। इस बार पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि कल मंगलवार को है। मंगल को भौम भी कहते हैं, इसलिए मंगलवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत भौम प्रदोष के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव के साथ रुद्र के अंश राम भक्त हनुमान जी की भी आराधना की जाती है। जो लोग व्रत रखते हैं, वे प्रदोष काल में विधि विधान से पूजा करते हैं और भौम प्रदोष व्रत की कथा सुनते या पढ़ते हैं। व्रत की पूजा के समय व्रत का पाठ करना जरूरी होता है। आइए जानते हैं भौम प्रदोष व्रत की कथा के बारे में।
भौम प्रदोष व्रत की कथा
एक समय की बात है। एक स्थान पर एक वृद्ध महिला रहती थी। उसका एक बेटा था। वह वृद्धा हनुमान जी की भक्त थी। हमेशा हनुमान जी की पूजा विधिपूर्वक करती थी। मंगलवार को वह हनुमान जी की विशेष पूजा करती थी। एक बार हनुमान जी ने अपने भक्त उस वृद्धा की परीक्षा लेनी चाही।
वे एक साधु का वेश धारण करके उसके घर पहुंचे। उन्होंने आवाज लगाते हुए कहा कि कोई है हनुमान भक्त, जो उनकी इच्छा को पूर्ण कर सकता है। उनकी आवाज उस वृद्धा के कान में पड़ी, तो वह जल्दी से बाहर आई। उसने साधु को प्रणाम किया और कहा कि आप अपनी इच्छा बताएं।
इस पर हनुमान जी ने उससे कहा कि उनको भूख लगी है, वे भोजन करना चाहते हैं, तुम थोड़ी सी जमीन लीप दो। इस पर उसने हनुमान जी से कहा कि आप जमीन लीपने के अतिरिक्त कोई और काम कहें, उसे वह पूरा कर देगी।
हनुमान जी ने उससे अपनी बातों को पूरा करने के लिए वचन लिया। तब उन्होंने कहा कि अपने बेटे को बुलाओ। उसकी पीठ पर आग जला दो। उस पर ही वे अपने लिए भोजन बनाएंगे। हनुमान जी की बात सुनकर वह वृद्धा परेशान हो गई। वह करे भी तो क्या करे। उसने हनुमान जी को वचन दिया था। उसने आखिरकार बेटे को बुलाया और उसे हनुमान जी को सौंप दिया।
हनुमान जी ने उसके बेटे को जमीन पर लिटा दिया और वृद्धा से उसकी पीठ पर आग जलवा दी। वह वृद्धा आग जलाकर घर में चली गई। कुछ समय बाद साधु के वेश में हनुमान जी ने उसे फिर बुलाया। वह घर से बाहर आई, तो हनुमान जी ने कहा कि उनका भोजन बन गया है। बेटे को बुलाओ ताकि वह भी भोग लगा ले।
इस पर वृद्धा ने कहा कि आप ऐसा कहकर और कष्ट न दें। लेकिन हनुमान जी अपनी बात पर अडिग थे। तब उसने अपने बेटे को भोजन के लिए पुकारा। वह अपनी मां के पास आ गया। अपने बेटे को जीवित देखकर वह आश्चर्यचकित थी। वह उस साधु के चरणों में नतमस्तक हो गई। तब हनुमान जी ने उसे दर्शन दिया और उसे आशीष देकर चले गए।