Saraswati Puja 2020 Katha: वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा की प्रसिद्ध कथा, श्रीकृष्ण से देवी को मिला था यह आशीर्वाद
Saraswati Puja 2020 Katha वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा की एक कथा प्रचलित है जिसमें मां सरस्वती के प्रकट होने और भगवान श्रीकृष्ण से मिले आशीर्वाद का वर्णन प्राप्त होता है।
Saraswati Puja 2020 Katha: माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी वसंत पंचमी का प्रारंभ हो गया है। वसंत पंचमी का हिन्दू धर्म में खास महत्व है। इस दिन ज्ञान, बुद्धि, वाणी और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा की एक कथा प्रचलित है, जिसमें मां सरस्वती के प्रकट होने और भगवान श्रीकृष्ण से मिले आशीर्वाद का वर्णन प्राप्त होता है। आइए जानते हैं सरस्वती पूजा की प्रसिद्ध कथा के बारे में—
सरस्वती पूजा कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु की आज्ञा से इस संसार के रचयिता ब्रह्मा जी ने मनुष्य योनी बनाई। एक बार वे पृथ्वी पर विचरण कर रहे थे, तो उन्होंने मनुष्यों और अन्य प्राणियों को देखा। तब उन्हें लगा कि इनके होने के बाद भी काफी शांति है। उनको कुछ कमी लग रही थी। तब उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर पृथ्वी पर छिड़क दिया।
ऐसा करते ही चार भुजाओं वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुईं। उनके एक हाथ में वीणा, एक में माला, एक में पुस्तक और एक हाथ वर मुद्रा में था। ब्रह्मा जी ने उनको वाणी की देवी सरस्वती के नाम से पुकारा। उन्होंने मां सरस्वती से अपनी वीणा की मदद से सभी प्राणियों को वाणी प्रदान करने को कहा। मां सरस्वती ने अपनी वीणा के मधुर नाद से संसार के सभी जीवों को वाणी प्रदान की।
जिस तिथि को ज्ञान और वाणी की देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं, उस दिन माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी थी, जिसे वसंत पंचमी या श्री पंचमी भी कहा जाता है। वसंत पंचमी को मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
अपने वीणा से संगीत की उत्पत्ति करने वाली देवी सरस्वती को वीणावादनी, शारदा, बागीश्वरी, भगवती, वाग्देवी आदि नामों से पुकारा जाता है। संगीत की उत्पत्ति के कारण ही उनको कला और संगीत की देवी भी कहते हैं।
श्रीकृष्ण ने मां सरस्वती को दिया था आशीर्वाद
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्रीकृष्ण और ब्रह्मा जी ने सबसे पहले मां सरस्वती की पूजा की थी। जब सरस्वती देवी भगवान श्रीकृष्ण पर मोहित हो गई थीं और उनके मन में श्रीकृष्ण को पति स्वरूप में पाने की लालसा हुई। तब यह बात जानकर श्रीकृष्ण ने उनको प्रसन्न करने के लिए आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि ज्ञान, बुद्धि और विद्या प्राप्त करने वाले व्यक्ति माघ शुक्ल पंचमी को आपकी पूजा करेंगे।