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Ashadha Gupt Navratri 2020: आज से शुरू हो रही है गुप्त नवरात्रि, जानें- क्या करें और क्या न करें

Ashadha Gupt Navratri 2020 इस साल आषाढ़ माह में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि 22 जून को से शुरू होकर 30 जून को समाप्त होगी।

By Umanath SinghEdited By: Published: Thu, 11 Jun 2020 04:22 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jun 2020 09:32 AM (IST)
Ashadha Gupt Navratri 2020: आज से शुरू हो रही है गुप्त नवरात्रि, जानें- क्या करें और क्या न करें
Ashadha Gupt Navratri 2020: आज से शुरू हो रही है गुप्त नवरात्रि, जानें- क्या करें और क्या न करें

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Ashadha Gupt Navratri 2020: माघ और आषाढ़ में मनाई जाने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस साल आषाढ़ माह में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि 22 जून को से शुरू होकर 30 जून को समाप्त होगी। इन नौ दिनों में देवी मां दुर्गा के नौ गुप्त रूपों की पूजा-उपासना की जाती है। 22 जून को घटस्थापना है। यह नवरात्रि तंत्र विद्या सीखने वाले और मां दुर्गा से मुंहमांगी मनोकामना करने वाले के लिए विशेष महत्व रखता है।

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हिंदी पंचांग के अनुसार, साल में चार नवरात्रि मनाई जाती है। पहली नवरात्रि माघ महीने में, दूसरी नवरात्रि चैत्र महीने में, तीसरी नवरात्रि आषाढ़ महीने में मनाई जाती है। जबकि चौथी और अंतिम नवरात्रि अश्विन माह में मनाई जाती है, जिसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है।आइए, गुप्त नवरात्रि के बारे में विस्तार से जानते हैं-

मां दुर्गा के नौ रूप

मां दुर्गा के नौ रूप शैल पुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री माता हैं, जिनकी नवरात्रि में पूजा की जाती है। साथ ही दस महाविद्या देवियां तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुनेश्वरी, छिन्नमस्ता, काली, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी हैं, जिनकी गुप्त नवरात्रि में गुप्त तरीके से पूजा-उपासना की जाती है।

गुप्त नवरात्रि का महत्व

यह नवरात्रि तंत्र साधना, जादू-टोना, वशीकरण आदि चीज़ों के लिए विशेष महत्व रखता है। गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों तक साधक मां दुर्गा की कठिन भक्ति और तपस्या करते हैं। खासकर निशा पूजा की रात्रि में तंत्र सिद्धि की जाती है। इस भक्ति और सेवा से मां प्रसन्न होकर साधकों को दुर्लभ और अतुल्य शक्ति देती हैं। साथ ही सभी मनोरथ सिद्ध करती हैं।

गुप्त नवरात्रि में क्या करें

- नौ दिनों तक ब्रह्मचर्य नियम का जरूर पालन करें। 

-तामसी भोजन का त्याग करें।

-कुश की चटाई पर शैया करनी चाहिए।

-निर्जला अथवा फलाहार उपवास रखें।

-मां की पूजा-उपासना करें।

-लहसुन-प्याज का उपयोग न करें।-

-माता-पिता की सेवा और आदर सत्कार करें।


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