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Ashadha Gupt Navratri 2020: आज है महानवमी, जानें-मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं महत्व

Ashadha Gupt Navratri 2020 मां की महिमा का गुणगान मार्कण्डेय पुराण में है। इस पुराण के अनुसार अणिमा महिमा प्राकाम्य गरिमा लघिमा प्राप्ति ईशित्व और वशित्व-ये आठ सिद्धियां है।

By Umanath SinghEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 06:00 AM (IST)
Ashadha Gupt Navratri 2020: आज है महानवमी, जानें-मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं महत्व
Ashadha Gupt Navratri 2020: आज है महानवमी, जानें-मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं महत्व

दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क।  Ashadha Gupt Navratri 2020: आज नवमी है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा और अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि के नौवें दिन निष्ठा पूर्वक मां सिद्धिदात्री की पूजा उपासना करने से साधक की सभी सिद्धियां सिद्ध होती है। इस पूजा उपासना से साधक के लिए तीनों लोकों का द्वार खुल जाते हैं। जबकि साधक को सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है। आइए, मां का स्वरूप, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि और महत्व जानते हैं-

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मां सिद्धिदात्री का स्वरूप

मां सिद्धिदात्री के स्वरूप का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता है। मां की महिमा निराली है। मां सिद्धिदात्री की सवारी सिंह है और मां चार भुजा धारी है। मां ने एक हाथ में कमल पुष्प तो दूजे में गदा धारण की हैं। जबकि तीसरे हाथ में चक्र एवं चौथे हाथ में शंख है। मां के मुखमंडल से तेज प्रकाशित होती है, जिससे समस्त संसार जगमगाता है। 

महत्व

मां की महिमा का गुणगान मार्कण्डेय पुराण में है। इस पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, प्राकाम्य  गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, ईशित्व और वशित्व- ये आठ सिद्धियां हैं। इन आठ सिद्धियों का सम्पूर्ण स्वरूप मां सिद्धिदात्री है। मां को अर्धनारीश्वर भी कहा जाता है। इस दिन मां का विशेष आह्वान किया जाता है। 

पूजा विधि

इस दिन प्रातः काल ब्रह्मा बेला में उठकर नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। तत्पश्चात, आमचन कर व्रत संकल्प लेकर मां सिद्धिदात्री की स्तुति निम्न मंत्र से करें। या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:। इसके पश्चात मां सिद्धिदात्री की पूजा फल, फूल, लाल पुष्प आदि से करें। अंत में आरती और प्रार्थना करें। दिनभर उपवास रखें और शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार करें। अगले नित्य दिनों की तरह पूजा-पाठ के बाद व्रत खोलें। इस समय जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा देने के बाद ही भोजन ग्रहण करें। 


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