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Ashadha Gupt Navratri 2020: आज नवरात्रि का तीसरा दिन है, जानें-मां चंद्रघंटा की पूजा-विधि, मंत्र एवं महत्व

मां का रूप अलौकिक और अतुल्य है जो ममता की प्रतिमूर्ति है। मां अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण की है। अतः मां दुर्गा के तीसरे रूप को चंद्रघंटा कहा जाता है।

By Umanath SinghEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 07:00 AM (IST)
Ashadha Gupt Navratri 2020: आज नवरात्रि का तीसरा दिन है, जानें-मां चंद्रघंटा की पूजा-विधि, मंत्र एवं महत्व
Ashadha Gupt Navratri 2020: आज नवरात्रि का तीसरा दिन है, जानें-मां चंद्रघंटा की पूजा-विधि, मंत्र एवं महत्व

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Ashadha Gupt Navratri 2020: आज गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन है। आज के दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चन्द्रघंटा की पूजा-उपासना का विधान है। इस दिन साधक का चित 'मणिपूर' चक्र में अवस्थ्ति रहता है। अतः साधकों को विह्गंम चीज़ों का अवलोकन होता है। साथ ही दिव्य ध्वनियां भी कर्णपटल पर गूंजती रहती हैं। धार्मिक मान्यता है कि जो साधक श्रद्धापूर्वक मां की पूजा करता है। उसकी मनोकामनाएं मां की कृपा से अवश्य पूर्ण होती हैं। आइए, मां का स्वरूप, पूजा विधि और महत्व जानते हैं-

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मां चन्द्रघंटा का स्वरूप

मां का रूप अलौकिक और अतुल्य है, जो ममता की प्रतिमूर्ति है। मां अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण की है। अतः मां दुर्गा के तीसरे रूप को चंद्रघंटा कहा जाता है। मां की सवारी सिंह है और मां की दस भुजाएं अस्त्र-शस्त्र से विभूषित है।

मां चन्द्रघंटा की पूजा का महत्व 

मां की लीला अपरंपार है। मां अपने भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं। मां चन्द्रघंटा का आह्वान निम्न मंत्र से किया जाता है।

पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता |

प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ||

धार्मिक मान्यता है कि मां की पूजा और उपासना करने से साधक को आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है। साथ ही यश, कीर्ति और सम्मान भी प्राप्त होता है। अतः नवरात्रि में मां की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म बेला में उठकर स्नान-ध्यान से निवृत होकर पवित्र वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात आमचन कर व्रत संकल्प लें। अब मां की स्तुति निम्न मंत्र से करें।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

ॐ देवी चन्द्रघंटाय नमः॥

अब मां चंद्रघंटा की पूजा फल, फूल, दूर्वा, सिंदूर, अक्षत, धूप, दीप, अगरबत्ती आदि से करें। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि मां को हलवा और दही अति प्रिय है। अतः प्रसाद रूप में मां को फल और हलवा-दही अवश्य भेंट करें। तत्पश्चात आरती और अपने परिवार के कुशल मंगल की कामना करें। दिन भर उपवास रखें और शाम में में आरती करने के बाद फलाहार करें।


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