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April Vinayak chaturthi 2021: आज है विनायक चतुर्थी, जानें तिथि, पूजा मुहूर्त एवं महत्व

April Vinayak chaturthi 2021 हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक मास की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी या संकष्टी चतुर्थी होती है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 01:30 PM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 06:34 AM (IST)
April Vinayak chaturthi 2021: आज है विनायक चतुर्थी, जानें तिथि, पूजा मुहूर्त एवं महत्व
April Vinayak chaturthi 2021: आज है विनायक चतुर्थी, जानें तिथि, पूजा मुहूर्त एवं महत्व

April Vinayak chaturthi 2021: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक मास की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी या संकष्टी चतुर्थी होती है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। इस समय चैत्र मास का शुक्ल पक्ष चल रहा है। ऐसे में चैत्र मास की विनायक चतुर्थी 16 अप्रैल दिन शुक्रवार को है। इस दिन रवि योग में गणेश जी की विधि विधान से पूजा होती है। जागरण अध्यात्म में जानते हैं कि विनायक चतुर्थी की तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व क्या है?

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विनायक चतुर्थी तिथि

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 15 अप्रैल दिन गुरुवार को दोपहर 03 बजकर 27 मिनट पर हो रहा है, जो अगले दिन 16 अप्रैल को शाम को 06 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगा। उदया तिथि तथा दोपहर पूजा का समय शुक्रवार को ही प्राप्त हो रहा है, ऐसे में विनायक चतुर्थी आज 16 अप्रैल को है।

विनायक चतुर्थी पूजा मुहूर्त

16 अप्रैल को विनायक चतुर्थी पूजा के लिए आपको दो घंटे 35 मिनट का मुहूर्त प्राप्त हो रहा है। आप शुक्रवार को दिन में 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट के मध्य विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा कर सकते हैं। पूजा में आपको गणेश जी को कम से कम 21 दूर्वा अर्पित करना चाहिए और मोदक का भोग लगाना चाहिए। मोदक और दूर्वा से गणेश जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

रवि योग में होगी विनायक चतुर्थी पूजा

16 अप्रैल को प्रात: 05 बजकर 55 मिनट से रात 11 बजकर 40 मिनट तक रवि योग बन रहा है। ऐसे में विनायक चतुर्थी की पूजा रवि योग में होगी।

विनायक चतुर्थी का महत्व

विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणपति की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं। भक्तों के कार्यों में आने वाले संकटों को दूर करते हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति के कार्य बिना विघ्न बाधा के पूर्ण होते हैं। वे शुभता के प्रतीक हैं और प्रथम पूज्य भी हैं, इसलिए कोई भी कार्य करने से पूर्व श्री गणेश जी की पूजा की जाती है।


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