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Apra Ekadadhi 2020: आज है 'अपरा एकादशी', जानें-विष्णु जी की पूजा का मुहूर्त, विधि एवं मंत्र

Apra Ekadadhi 2020 ऐसी मान्यता है कि अपरा एकादशी के दिन विष्णु जी की सच्ची श्रद्धा और निष्ठापूर्वक भक्ति करने से व्रती को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।

By Umanath SinghEdited By: Published: Thu, 14 May 2020 01:27 PM (IST)Updated: Mon, 18 May 2020 07:07 AM (IST)
Apra Ekadadhi 2020: आज है 'अपरा एकादशी', जानें-विष्णु जी की पूजा का मुहूर्त, विधि एवं मंत्र
Apra Ekadadhi 2020: आज है 'अपरा एकादशी', जानें-विष्णु जी की पूजा का मुहूर्त, विधि एवं मंत्र

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Apra Ekadadhi 2020: हिंदी पंचांग अनुसार, ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन अपरा एकादशी मनाई जाती है, जिसे अचला एकादशी भी कहा जाता है। इस साल अपरा एकादशी 18 मई को मनाई जा रही है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा-उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि अपरा एकादशी के दिन विष्णु जी की सच्ची श्रद्धा और निष्ठापूर्वक भक्ति करने से व्रती को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। आइए, अब अपरा एकादशी की कथा, तिथि तथा मंत्र जानते हैं-

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अपरा एकादशी शुभ मुहूर्त

अपरा एकादशी का शुभ मुहूर्त 17 मई को दोपहर में 12 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानि 18 मई को दोपहर 3 बजकर 8 मिनट तक है। इस शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा-उपासना करनी चाहिए। इसके अलावा आप चौघड़िया तिथि में भी विष्णु जी की पूजा कर सकते हैं। जबकि पारण 19 मई को ब्रह्म मुहूर्त में है।

अपरा एकादशी पूजा विधि

व्रती को दशमी के दिन तामसी भोजन नहीं करनी चाहिए। इस दिन आप लहसन और प्याज भी न खाएं। अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद नित्य कर्मों से निवृत होकर स्नान-ध्यान कर सबसे पहले आमचन कर अपने को शुद्ध करें। इसके बाद पीला वस्त्र (कपड़े) पहनें और व्रत संकल्प लें। अब सर्वप्रथम भगवान भास्कर को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान विष्णु जी की पूजा पीले पुष्प, फल, धूप-दीप, कपूर, चंदन, दूर्वा, अक्षत आदि से करें। पूजा के समय निम्न मंत्र का जाप जरूर करें।

शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्,

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् |

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ||

अपनी क्षमता अनुसार दिन भर उपवास रखें। आप निर्जला अथवा फलाहार उपवास रख सकते हैं। शाम में भगवान विष्णु जी की आरती-अर्चना के बाद फलाहार करें। रात्रि में भजन-कीर्तन करें। इसके अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा पाठ सम्पन्न कर व्रत खोलें। इसके बाद गरीबों और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें।


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