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Annakut 2019 History and Importance: अन्नकूट पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण को लगाते हैं भोग, गोवर्धन पूजा से जुड़ा है इतिहास

Annakut 2019 History and Importance अन्नकूट का पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के शक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है जो इस वर्ष 28 अक्टूबर सोमवार को है।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 12:29 PM (IST)Updated: Mon, 28 Oct 2019 10:17 AM (IST)
Annakut 2019 History and Importance: अन्नकूट पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण को लगाते हैं भोग, गोवर्धन पूजा से जुड़ा है इतिहास
Annakut 2019 History and Importance: अन्नकूट पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण को लगाते हैं भोग, गोवर्धन पूजा से जुड़ा है इतिहास

Annakut 2019 History and Importance: अन्नकूट का पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के शक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 28 अक्टूबर सोमवार को है। इस दिन मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न सामाग्रियों से भोग लगाया जाता है। यह ब्रज में मुख्य तौर पर मनाया जाने वाला पर्व है। अन्नकूट पर्व पर गाय के गोबर से बने गोवर्धन बनाते हैं, वहां श्रीकृष्ण के सामने गाय, ग्वाल को विधिपूर्वक पूजा अर्चना करते हैं। इस पर्व को मनाने से व्यक्ति दीर्याघु होता है और निरोगी जीवन की आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही दरिद्रता भी दूर होती है।

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अन्नकूट पर भोग की सामग्री

दिवाली के अगले दिन भगवान श्रीकृष्ण को नैवेद्य में रोज के बनने वाले खाद्य पदार्थों के अलावा अपने सामर्थ्य के अनुसार दाल, भात, कढ़ी, साग, हलवा, पूरी, खीर, लड्डू, पेड़े, बर्फी, जलेबी, केले, नारंगी, अनार, सीताफल, बैंगन, मूली, साग, पात, रायते, भुजिये, सलूने और चटनी, मुरब्बे, अचार, खट्टे-मीठे चरपरे अनेक प्रकार के पदार्थ बनाकर अर्पण करें।

अन्नकूट के लिए भोग के खाद्य सामग्री का प्रबंध करने के पश्चात भगवान को भोग लगाएं। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों को भोजन कराकर शेष सामग्री प्रसाद स्वरूप वितरित कर दें।

अन्नकूट यथार्थ में गोवर्धन की पूजा का ही समारोह है। प्राचीन काल में व्रज के सम्पूर्ण नर-नारी अनेक पदार्थों से इन्द्र का पूजन करते और नाना प्रकार के षडरस पूर्ण (छप्पन भोग, छत्तीसों व्यञ्जन) भोग लगाते थे। किन्तु श्रीकृष्ण ने अपनी बाल्य अवस्था में ही इन्द्र की पूजा को निषिद्ध बतलाकर गोवर्धन का पूजन करवाया। इसके पश्चात स्वयं ही दूसरे स्वरूप से गोवर्धन बनकर अर्पण की हुई सम्पूर्ण भोजन सामग्री का भोग लगाया।

यह देखकर देवताओं के राजा इन्द्र ने ब्रजवासियों पर प्रलयकारी वर्षा करने लगे। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर सात दिनों तक उठाए रखा। ब्रजवासियों ने उसके नीचे खड़े रखकर स्वयं की बचाया। भगवान श्रीकृष्ण ने 7वें दिन गोवर्धन पर्वत को जमीन पर रखा। उन्होंने ब्रजवासियों से गोवर्धन पूजा के साथ अन्नकूट मनाने को कहा।

- ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र  


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