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Aja Ekadashi 2020 Katha: पढ़ें व्यक्ति के सभी पापों का नाश करने वाली अजा एकादशी की कथा

Aja Ekadashi Katha अजा एकादशी का व्रत 15 अगस्त यानी शनिवार को है। इस दिन व्रत के साथ कथा पढ़ना भी बेहद फलदायक होता है। पढ़ें यह कथा...

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 10:51 AM (IST)
Aja Ekadashi 2020 Katha: पढ़ें व्यक्ति के सभी पापों का नाश करने वाली अजा एकादशी की कथा
Aja Ekadashi 2020 Katha: पढ़ें व्यक्ति के सभी पापों का नाश करने वाली अजा एकादशी की कथा

Aja Ekadashi Katha: कुंतीपुत्र युधिष्ठिर ने कहा, हे भगवान! भाद्रपद कृष्ण एकादशी का क्या नाम है? इस व्रत की माहात्मय कृपा और विधि कहिए। इस पर मधुसूदन ने कहा कि भाद्रपद कृष्ण एकादशी का नाम अजा है। यह एकादशी हर तरह के पापों का नाश करती है। इस दिन भगवान श्री विष्णु जी की पूजा-अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन भगवान ऋषिकेश की आराधना करते हैं उन्हें वैकुंठ की प्राप्ति जरूर होती है। अब आप इसकी कथा सुनें।

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प्राचीन समय में एक चक्रवर्ती राजा थे जिनका नाम हरिशचंद्र था। किसी कर्म के वशीभूत होकर राजा हरीशचंद्र ने अपना सारा राज्य, धन, स्त्री, पुत्र और खुद को बेच दिया। वह चांडाल का दास बन गया था और वो सत्य को धारण करता हुआ मृतकों का वस्त्र ग्रहण करने लगा। वह किसी भी तरह से सत्य से विचलित नहीं हुआ। वो कई बार इस सोच में पड़ जाता था कि वो कहा जाएं या क्या करें जिससे सब ठीक हो जाए और उसका उद्धार हो।

इसी तरह कई वर्ष बीत गए। वह इसी चिंता में एक दिन बैठा हुआ था कि गौतम ऋषि आ गए। ऋृषि को देखकर राजा हरिशचंद्र ने उन्हें प्रणाम किया। राजा ने ऋृषि को अपनी कहानी सुनाई। यह सुनकर गौतम ऋषि ने कहा, आज से ठीक 7 दिन के बाद आपके जीवन में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी आएगी। इसका विधिपूर्वक व्रत उन्हें करना होगा। ऋृषि ने कहा कि यह व्रत करने से राजा के सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। यह कहकर ऋषि अंतर्ध्यान हो गए।

जैसा ऋृषि ने कहा था राजा हरीशचंद्र ने विधिपूर्वक व्रत व जागरण किया। यह व्रत करने से राजा के सभी पाप नष्ट हो गए। फूलों की बारिश हुई और स्वर्ग में बाजे बजने लगे। सिर्फ यही नहीं, राजा ने अपने मृतक पुत्र को जीवित और अपनी स्त्री को वस्त्र और आभूषणों के साथ देखा। राजा को उनका राज्य वापस मिल गया। आखिरी में राजा अपने पूरे परिवार के साथ स्वर्ग गया।

अत: जो मनुष्य सच्चे मन और विधिपूर्वक इस व्रत को करता है, साथ ही रात जागरण भी करता है, उसके समस्त पापों का अंत हो जाता है और वो स्वर्गलोक को प्राप्त होता है।  


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