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Ahoi Ashtami 2020 Date & Muhurat: आज है अहोई अष्टमी व्रत, जानें पूजा का मुहूर्त, पारण समय एवं महत्व

Ahoi Ashtami 2020 संतान के दीर्घायु और खुशहाल जीवन का व्रत अहोई अष्टमी हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। अखंड सौभाग्य के व्रत करवा चौथ के बाद 3 या 4 दिन बाद अहोई अष्टमी व्रत होता है। अहोई अष्टमी 08 नवंबर को है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Thu, 05 Nov 2020 12:10 PM (IST)Updated: Sun, 08 Nov 2020 06:05 AM (IST)
Ahoi Ashtami 2020 Date & Muhurat: आज है अहोई अष्टमी व्रत, जानें पूजा का मुहूर्त, पारण समय एवं महत्व
इस दिन है अहोई अष्टमी का व्रत, जानें पूजा का मुहूर्त, पारण समय

Ahoi Ashtami 2020 Date And Muhurat: संतान के दीर्घायु और खुशहाल जीवन का व्रत अहोई अष्टमी हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। अखंड सौभाग्य के व्रत करवा चौथ के बाद 3 या 4 दिन बाद और दिवाली से 6 या 7 दिन पूर्व अहोई अष्टमी का व्रत होता हैइस दिन माताएं अपनी संतान की खुशहाल और सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत मुख्यत: सूर्योदय से लेकर सूयोस्त के बाद तक होता है। शाम के समय में आकाश में तारों को देखकर व्रत का पारण किया जाता है। कुछ स्थानों पर माताएं चंद्रमा दर्शन के बाद पारण करती हैं। आइए जानते हैं कि अहोई अष्टमी की तिथि, पूजा का मुहूर्त तथा पारण का समय क्या है?

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अहोई अष्टमी 2020 की तिथि

इस वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 08 नवंबर को सुबह 07 बजकर 29 मिनट से हो रहा है। इस तिथि का समापन 09 नवंबर को सुबह 06 बजकर 50 मिनट पर होगा। ऐसे में अहोई अष्टमी का व्रत 8 नवंबर को रखा जाएगा।

अहोई अष्टमी 2020 पूजा मुहूर्त

अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता की पूजा विधि विधान से की जाती है। इस दिन पूजा के लिए शाम को 01 घण्टा 19 मिनट का समय है। आपको अहोई अष्टमी की पूजा शाम 05 बजकर 37 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट के बीच कर लेना चाहिए।

अहोई अष्टमी 2020 पारण का समय

अहोई अष्टमी का व्रत तारों के देखने के बाद पारण के साथ पूरा होता है। 08 नवंबर को शाम 08 बजकर 02 मिनट पर तारों को देखने का समय है। इसके बाद आप पारण करके व्रत को पूरा कर सकती हैं।

अहोई अष्टमी 2020 चंद्रोदय का समय

अहोई अष्टमी के दिन चंद्रमा काफी देर से दिखाई देगा। इस दिन देर रात 12 बजकर 02 मिनट पर चंद्रोदय होगा। ऐसे में अधिकतर व्रती तारों को देखने के बाद पारण कर लेती हैं। अधिकतर जगहों पर तारों को देखकर ही व्रत पूरा करने की परंपरा है।


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