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Achala Saptami 2023:अचला सप्तमी पर बन रहा खास योग, जानिए शुभ मुहूर्त और कैसे करें भगवान सूर्य की पूजा

Achala Saptami 2023 अचला सप्तमी पर भगवान सूर्यदेव की विधिवत पूजा करने का विघान है। माना जाता है कि रथ सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से हर कष्ट पाप से मुक्ति मिल जाती है और धन वैभव की प्राप्ति होती है।

By Shivani SinghEdited By: Shivani SinghPublished: Fri, 27 Jan 2023 09:41 AM (IST)Updated: Sat, 28 Jan 2023 07:14 AM (IST)
Achala Saptami 2023:अचला सप्तमी पर बन रहा खास योग, जानिए शुभ मुहूर्त और कैसे करें भगवान सूर्य की पूजा
Achala Saptami 2023: अचला सप्तमी कल, जानिए शुभ मुहूर्त और कैसे करें भगवान सूर्य की पूजा

नई दिल्ली, Achala Saptami 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी का व्रत रखा जाता है। भगवान सूर्य को समर्पित इस व्रत को सूर्य जयंती, रथ सप्तमी के नाम से भी जानते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अचला सप्तमी के दिन भगवान सूर्य रथ में सवार होकर प्रकट हुई थी। इसी के कारण सूर्य जयंती कहा जाता है। इस दिन स्नान-दान करने से धन-धान्य की बढ़ोतरी होती है और उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। जानिए अचला एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

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अचला एकादशी 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त

माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि आरंभ- 27 जनवरी को सुबह 09 बजकर 10 मिनट से शुरू

माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि समाप्त- 28 जनवरी को रात 08 बजकर 43 मिनट तक।

उदया तिथि के हिसाब से अचला सप्तमी का व्रत 28 जनवरी 2023 को रखा जा रहा है।

साध्य योग- 27 जनवरी को दोपहर 01 बजकर 22 मिनट से शुरू होकर 28 जनवरी को सुबह 11 बजकर 54 मिनट तक

शुभ योग - 28 जनवरी सुबह 11 बजकर 54 मिनट से 29 जनवरी को सुबह 11 बजकर 04 मिनट तक

अचला सप्तमी 2023 स्नान -दान का मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, अचला सप्तमी को सुबह 05 बजकर 25 मिनट से 07 बजकर 12 मिनट तक स्नान और दान करना शुभ होगा।

अचला सप्तमी 2023 पूजा विधि

  • अचला सप्तमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें और साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
  • अब एक तांबे के लोटे में जल में थोड़ा सा लाल सिंदूर, अक्षत, लाल फूल, थोड़ा सा तिल डालकर अर्घ्य दें।
  • इसके साथ ही नैवेद्य, घी की दीपक, धूप जलाकर विधिवत आरती करें और सूर्यदेव से प्रार्थना करते हुए 'सपुत्रपशुभृत्याय मेर्कोयं प्रीयताम्' मंत्र का उच्चारण करें।
  • सूर्यदेव की विधिवत पूजा करने के बाद जरूरतमंदों या गरीबों को वस्त्र,तिल, अनाज आदि दान करें।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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