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पितृतारक है वैतरणी सरोवर

अश्रि्वन कृष्ण चतुर्दशी सोमवार (22 सितंबर) को सत्रह दिवसीय गया श्राद्ध का 15वां दिवस है। इस तिथि को वैतरणी सरोवर में तर्पण किया जाता है। इस तर्पण से 21 कुलों का उद्धार होता है। वैतरणी को ब्रहमा जी ने स्वर्ग से लाया है। स्वर्ग में इसका नाम देवनदी है। तर्पण के बाद यहां गोदान्

By Edited By: Published: Mon, 22 Sep 2014 12:42 PM (IST)Updated: Mon, 22 Sep 2014 12:48 PM (IST)
पितृतारक है वैतरणी सरोवर

अश्रि्वन कृष्ण चतुर्दशी सोमवार

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(22 सितंबर) को सत्रह दिवसीय गया श्राद्ध का 15वां दिवस है। इस तिथि को वैतरणी सरोवर में तर्पण किया जाता है।

इस तर्पण से 21 कुलों का उद्धार होता है। वैतरणी को ब्रहमा जी ने स्वर्ग से लाया है। स्वर्ग में इसका नाम देवनदी है। तर्पण के बाद यहां गोदान होता है। नरक में पड़े हुए पितर तर्पण द्वारा आवागमन से मुक्त हो जाते हैं। मुक्तिदायक मार्कण्डेय महादेव वैतरणी सरोवर के पश्चिमी तट पर पूर्व रुख हैं। इनके दर्शन रमस्कार से पितर तर जाते हैं।

वाईपास रोड माड़नपुर में मुख्य पथ पर कोटीश महादेव, गोदावरी पर स्थित गृध्रेश्वर महादेव, फल्गु ईश्वर (फलकेश्वर) महादेव ब्राहमणी घाट तथा कपिलधारा में स्थित कपिलेश्वर महादेव के दर्शन भी पितृतारक हैं। उक्त दर्शनीय स्थल वेदी के रूप में अग्नि पुराण तथा वायु पुराण में वर्णित हैं। ब्रहमयोनि पर स्थित सावित्री देवी को भी दर्शनीय वेदी में परिगणित किया गया है।


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